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________________ सम्पादकीय, न साधना पद्धति में बिना किसी जाति और लिंग भेद के आत्म-चेतना के - विकास करने का अवसर सभी के लिए है। यही कारण है कि आदि तीर्थंकर भगवान् श्री. ऋषभदेव के समय सर्वप्रथम मोक्ष प्राप्त करने वाली माता मरुदेवी थी। उन्हीं के धर्म शासन में आर्या ब्राह्मी और आर्या सुन्दरी हुई। इन्होने अपने उपदेश से घोर तपस्या में लीन बाहुबलि के मान को चूर किया था। ये दोनों साध्वियाँ भगवान् श्री ऋषभदेव की पुत्रियाँ और बाहुबलि की बहनें थी। बाहुबलि अपनी तपस्या के साथ अहंकार एवं अभिभान में मदोमत्त बने हुए थे और संयम में ज्येष्ठ अपने लघु बंधुओं की वंदना के लिए नहीं जा पा रहे थे। वीरा म्हारा गज थकी उतरो - बहनों के ये प्रेरक वचन सुनकर बाहुबलि बाहर से भीतर की ओर मुड़े और उनक अहंकार चूर-चूर हो गया। लघु बंधुओं की वंदना के लिए उनके चरण भूमि से उठ गये और तभी उन्हें केवल ज्ञान हो गया। उन्नीसवें तीर्थंकर भगवती मल्ली भी एक नारी ही थी, जो अपनी साधना के बल पर तीर्थंकर बनी। श्री रथनेमि को अपनी साधना से पथ भ्रष्ट होने से बचाने वाली साध्वी राजीमती भी एक नारी ही थी और एक ही रात्रि में केवल ज्ञान प्राप्त करने वाली भी दो. नारियाँ ही थीं - एक साध्वी प्रमुखा. श्री चन्दनबाला और दूसरी उनकी अन्तेवासिनी साध्वी श्री मृगावती ऐसा प्रसंग अन्यत्र दुर्लभ है। तत्वज्ञ श्राविका जयन्ती का नाम जैन इतिहास में गौरव के साथ लिया जाता है। महारानी कमलावती ने राजा की धन लिप्सा एवं मोह निद्रा को भंग कर प्रतिबोध देकर साधना पथ पर प्रवृत्त किया। सव्वं जग जइ तुहं, सव्वं वावि घण भवं। • सव्वं विते अपज्जतं, णे व ताणाय तेतिव॥ उत्तराध्ययन १८/३९ हे राजन। यदि यह संसार सारा तुम्हारा हो जाए अथवा संसार का सारा धन. तुम्हारा हो जाए तो भी ये सब तुम्हारे लिये अपर्याप्त है। यह धन, जन्म, मृत्यु के कष्टों से तुम्हारी रक्षा नहीं कर सकता। सीता, द्रोपदी, दमयंती, अंजना आदि सतियों का जीवन चरित्र हमारी संस्कृति की महान् धरोहर है। आचार्य श्री हरिभद्र सूरि को आचार्य और महामनीषी बनाने का श्रेय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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