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दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम कर्म, गोत्र और अन्तराय) अर्थात् अष्टकर्म को क्षय कर लिया है। 'आचार्य' वे जिन्होंने दुष्कर्मों पर विजय पा ली है, किन्तु उन्हें वे अभी क्षय नहीं कर पाये हैं। 'उपाध्याय' वे जो दर्शन, ज्ञान, और चारित्र की त्रिवेणी के ज्ञात परम विद्वान, साधुओं के शिक्षक कहे जाते हैं। ‘साधु' वे जो साधना में लीन है, संयमी है, सधे हैं।
__ अतः णमोकर महामंत्र में पंच परमेष्ठि को नमस्कार किया गया है। यद्यपि णमोकार मंत्र का लक्ष्य मुक्ति प्राप्त करना है तथापि लौकिक दृष्टि से यह समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है। उपसर्ग, पीड़ा, कष्ट आदि अनेक आधि व्याधि से मुक्ति दिलाता है। अतः कल्याणकारी है।
संदर्भ सूची - १. ज्ञानावर्ण अधिकार ४०/१०, राज चन्द्र ग्रंथमाला प्रकाशन, ई. १९०७ में निम्न उल्लेख मिलता है -
"क्षुद्रध्यान पर प्रपञ्चचतुरा रागानलोद्दीपिताः, मुद्रामंडल यंत्र मंत्र करणे
शराघयन्त्याहताः। पतन्ति नरके भोगार्ति भिर्वञ्चिताः।" २. वही, ४/५२, ४/५३, ४/५४, ४/५५ ३. महापुराण, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, संवत् १९५१ ४. पाण्डव पुराण, जीवराज प्रकाशन, शोलापुर, संवत् १९६२ ५. राजवार्तिका, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, वाराणसी संवत् २००८ ६. भावपुराण, माणिकचंद्र ग्रंथमाला प्रकाशन, संवत् १९१७ ७. धवलापुस्तक, अमरावती प्रकाशन में निम्न उल्लेख मिलता है - (१३/५, ५, ८२/३४९/८)
“जोणिपाहुड़े भणिदमंत-तंतसत्तीयो पोग्गलाणु भागो नि छेत्ताव्यो।" ८. उप-आचार्य देवेन्द्र मुनि जीः नमस्कार महामंत्रः एक चिंतन, सुधर्मा; श्री तिलोक रल स्था. जैन धार्मिक परीक्षा बोर्ड, अहमदनगर -४१४००१. ९. (अ) दशकालिक सूत्र देखिए तथा उत्तराध्यपन देखिए।
(ब) 'जैन मंत्र एवं यंत्र साहित्य: एक अध्ययन' डॉ. संजीव प्रचंडिया 'सोमेन्द्र' अलीगढ़। १०. पर्यावरण, प्रदूषण, और णमोकार महामंत्र -डॉ. संजीव प्रचंडिया 'सोमेन्द्र' ट्रेक्ट, प्रकाशन विश्वकल्याण णमोकार समारोह समिति, ग्वालियर
मंगल कलश, ३९४ सर्वोदय नगर अगिरा रोड़,
अलीगढ़ -२०२००१
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