SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 297
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इस प्रकार श्रमणी संघ की सवोंमुखी समुत्कर्षता एवं सुव्यवस्था हेतु उपर्युक्त पदों का निर्धारण किया गया है। भगवान श्रषभदेव के शासन काल में चालीस हजार श्रमणियाँ सिद्ध हुई (४) तीर्थंकर अजितनाथ के शासनकाल में श्रमणियों की संख्या तीन लाख तीस हजार थी (५) भगवान संभवनाथ के शासन काल में साध्वियों की उत्कृष्ट सम्पदा तीन लाख छत्तीस हजार थी (६) भगवान अभिनन्दन के शासन काल में श्रमणियों की संख्या छः लाख तीस हजार थी (७) तीर्थकर सुमतिनाथ के युग में पाँच लाख तीस हजार साध्वियाँ थी (८) भगवान पद्यप्रभ के धर्मपरिवार में चार लाख बीस हजार साध्वियों की संख तीर्थकरसुपार्श्वनाथ के शासन काल में सतियों की संख्या उत्कृष्ट सम्पन चार लाख तीस हजार थी (१०) तीर्थकर चन्द्रप्रभ के शासन काल में आर्याओं की संख्या तीन लाख अस्सी हजार थी (११) तीर्थंकर सुविधिनाथ के धर्म परिवार में श्रमणियों की उत्कृष्ट सम्पदा एक लाख बीस हजार थी (१२) तीर्थंकर शीतलनाथ के धर्म संघ में महासतियों की संख्या एक लाख छः थी (१३) भगवान श्रेयास नाथ के शासन काल में निग्रन्थियों की उत्कृष्ट सम्पदा एक लाख तीन हजार थी (१४) तीर्थंकर वासुपूज्य के धर्म संघ में साध्वी-रत्न की संख्या एक लाख रही थी। (१५) तीर्थंकर विमलनाथ के चतुर्विधसंघ श्रमणियों की उत्कृष्ट संख्या एक लाख आठ सौ थी (१६) भगवान अनन्तनाथ के धर्मपरिवार में साध्वियों की संख्या बासठ हजार थी (१७) भगवान धर्मनाथ के श्री संघ में साध्वियों की संख्या बासठ हजार चार सौ थी (१८) भगवान शान्तिनाथ के शासन काल में साध्वियों की उत्कृष्ट संख्या इकसठ हजार छ: सौ थी (१९) भगवान कुन्थुनाथ के धर्मपरिवार में साध्वियों की संख्या साठ हजार छ: सौ थी (२०) भगवान अरहनाथ के शासनकाल में साध्वियों की उत्कृस्ट संख्या साठ हजार थी। (२१) भगवान मल्लिनाथ के शासन काल में श्रमणियों की संख्या पचपन हजार थी (२२) भगवान मुनिसुव्रत के शासन काल में श्रमणियों की संख्या पचास हजार थी (२३) भगवान नेमिनाथ के शासन काल में साध्वियों की संख्या इकतालीस हजार थी ४ - कल्पसुत्र सूत्र १, २, ७ ५ - प्रवचन सारोद्वार १, १७ गाथा ३३, ५/३९ ६ - प्रवचन सारोद्वार १७ गाथा ३३५ -३९ ७ - सत०११३ गाथा २३५ - २३६ ८ . सतरियढार ११३ गाथा २३५ - २३६ ९ - समवायाङ्ग सूत्र प्रवचन सारोद्धार १७ गाथा ३३५ - ३९ सतरियढार ११३गाथा २३५ - २३६ प्रवचनसारोद्धार १७ गाथा ३३५ - ३९ प्रवचनसारोद्धार १७ गाथा ३३५ - ३९ प्रवचनसारोद्धार १७ गाथा ३३५ - ३९ प्रवचन सारोद्धार १७ गाथा ३३५ - ३९ सतरियढार ११३ गाथा २३५ - २३६ प्रवचन सारोद्धार १७ गाथा ३३५ - ३९ प्रवचन सारोद्धार १७ गाथा ३३५ - ३९ प्रवचन सारोद्धार १७ गाथा ३३५ - ३९ प्रवचन सारोद्धार १७ गाथा ३३५ - ३९ सतरियढार १०४ गाथा २१६ - २१७ प्रवचन सारोद्धार २५ गाथा ३६८ - ८२ प्रवचन सारोद्धार १७ गाथा ३३५ - ३९ (३६) ११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012025
Book TitleMahasati Dwaya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji, Tejsinh Gaud
PublisherSmruti Prakashan Samiti Madras
Publication Year1992
Total Pages584
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy