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सेवाभाव तुम्हारा अनुपम हम भूले नहीं भुलाते हैं।
धन्य धन्य हे महासती! गुण गौरव तेरे गाते हैं। अक्षय ज्योति जले हमेशा हर पल कंचन बिखरे, कान कुंवर जी की बगिया तो पा बसन्त को निखरे।
चेतन देख चन्द्र भी निकला सुधा सुमन से बरसी,
चम्पा की डाली तो झुकझुक देख सभी को हरसी। 'शशिकर' सौरभ देख तुम्हारी हम फूले नहीं समाते हैं। धन्य धन्य हे महासती! गुण गौरव तेरे गाते हैं।
कवि कुटीर विजयनगर -अजमेर (राज.)
पू. श्री कान कुंवर जी म. श्रद्धांजलि
. संजय कटारिया बालाघाट (म.प्र.)
सतियां जी को श्रद्धा अर्पित हो, ले लो शरण में अपने मुझको।
दया क्षमा की थी तुम ज्योति।
ज्ञान के सागर की अनमोल मोती॥ तपस्विनी गुरुणी में बिजली सी फुर्ती। महासती चंदनबालाकी साक्षात मूर्ति।
पंच महाव्रत संयम धारी।
देवी सम थी दिव्य नारी॥ नींद में भी बस यही जपती। धर्म सेवा की प्रभु दो शक्ति॥
नाम अमर कर मोक्ष पधारो।
कानकुंवर जी की महिमा भारी॥ स्मृति छंदों से यह श्रद्धा बखानी। संयम जैन इतिहास की अमिट कहानी॥
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