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साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ
15. पुरुषार्थ सिद्धोपाय, अमृतचन्द्राचार्य, श्रीमद् रायचन्द्र जैन शास्त्रमाला, आगास, श्लोकांक 40, पृष्ठांक 28 । 16. भगवती आराधना, सखारामदोशी, शोलापुर, गाथांक 116, पृष्ठांक 277 । 17. जैन आचार : सिद्धान्त और स्वरूप, देवेन्द्रमुनि शास्त्री, पृष्ठ 293 । 18. बहद् द्रव्य संग्रह, नेमिचन्द्राचार्य, श्रीमद् रायचन्द्र जैनशास्त्रमाला, आगास, पंक्ति सं07, पृष्ठांक 1651 19. मोक्षमार्ग प्रकाशक, आचार्यकल्प पं० टोडरमल, अधिकार संख्या 8, पृष्ठांक 268 । 0. (क) बहद् द्रव्य सग्रह, पृष्ठ 165, पंक्ति संख्या 1 से 6 तक ।
(ख) रत्नकरण्ड श्रावकाचार, स्वामी समन्तभद्र, पृष्ठ 135 से 137 तक । 21. जैन हिन्दी पूजाकाव्य परम्परा और आलोचना, डॉ. आदित्य प्रचण्डिया 'दीति', पृष्ठ 2 से 3 तक । 22. सर्वार्थसिद्धि, 6/15/333/9।
23. धवला पुस्तक, 13/5,4,22/46/12 । 24. राजवात्तिक, भारतीय ज्ञानपीठ, वि० सं० 2008, 6/15/2/525/251
जैन हिन्दी पूजाकाव्य परम्परा और आलोचना, डॉ० आदित्य प्रचण्डिया 'दीति', पृष्ठ 369 । तत्त्वार्थ सूत्र सार्थ, उमास्वामि, श्री अखिल विश्व जैन मिशन, अलीगंज, एटा, सन 1957, पृष्ठांक 3, अध्याय
संख्या 1, सूत्रांक 41 27. तत्त्वार्थसूत्र, पृष्ठांक 76, अध्याय संख्या 6, सूत्रांक 1-2। 28. राजवात्तिक 1/4/9,16/26 । 29. बृहद् द्रव्य संग्रह, पृष्ठ 77, श्लोकांक 291
30. पंचास्तिकाय, 91 31. परमात्मप्रकाश, आचार्य योगीन्द्रदेव, पृष्ठ 56, दोहांक 57 । 32. जैन हिन्दी पूजाकाव्य परम्परा और आलोचना, पृष्ठ 3751 33. बृहद् द्रव्य संग्रह, पृष्ठ 44, श्लोकांक 15। 34. जैन हिन्दी पूजा काव्य परम्परा और आलोचना, पृष्ठ 57 । 35. भगवती आराधना, मूल, 1847/1656 36. बारस अणुवेक्खा 66।
37. सर्वार्थसिद्धि, 8/23/399/91 38. धवला 1/1, 1/4/149/6।
39. पंचसंग्रह प्राकृत, 1/142-1431 40. सर्वार्थसिद्धि 2/6/159/10 । 41. गोम्मटसार, जीवकाण्ड, नेमिचन्द्राचार्य, 704/1141/51 42. जैन हिन्दी पूजाकाव्य परम्परा और आलोचना, पृष्ठ 381 । 43. तत्त्वार्थसूत्र, अध्याय 9, सूत्रांक 1।।
44. भगवती आराधना 38/134/16। 45. बृहद् द्रव्य संग्रह, पृष्ठांक 84, गाथांक 34 ।
46. राजवात्तिक, 9/5/2/593/34। 47. सर्वार्थसिद्धि 2/409, देवसेनाचार्य, पृष्ठ 7। 48. पुरुषार्थ सिद्धोपाय, अमृतचन्द्राचार्य, पृष्ठांक 87, श्लोकांक 203 । 49. जैन हिन्दी पूजा काव्य परम्परा और आलोचना, पृष्ठ 49-50 । 50. (क) सर्वार्थसिद्धि 7/22/363/11
(ख) जैनधर्म, रतनलाल जैन, पृष्ठ 92 । (क) भगवती आराधना, 206/423 ।
(ख) आभ्यन्तर सल्लेखना एवं बाह्य संल्लेखना ।-अपभ्रंश वाड:मय में व्यवहृत पारिभाषिक शब्दावलि, पृष्ठ 91 52. श्री बल्लभ शताब्दी स्मारिका, पृष्ठ 178।
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१७० | चतुर्थ खण्ड : जैन दर्शन, इतिहास और साहित्य
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