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________________ कन्यादानन्दमकलकारकवकनुवादक कच-पदवकासकककककक्करबचतpar चतुर्थ खण्ड १-१८२ जैन दर्शन, इतिहास और साहित्य beste baselesaasboedeslasteste skiestejadeste dovedestestostestostestestosteste testo sodasastadestadtestostestade gasto de este sasasastedadesta seslegesbestodlaste sadecasaed डॉ० एम० पी० पटैरिया श्री दलसुख मालवणिया डॉ० देवेन्द्रकुमार शास्त्री डॉ० संगमलाल पाण्डेय डॉ० सागरमल जैन डॉ० दरवारीलाल कोठिया डॉ० उदयचन्द्र जैन डा० दामोदर शास्त्री राजीव प्रचण्डिया डा० भागचन्द्र जैन डा० महेन्द्रसागार प्रचण्डिया भारतीय दर्शनों में आत्म-तत्त्व आगम साहित्य में पूजा शब्द का अर्थ । पुण्य : एक तात्त्विक विवेचन जैन प्रमाणवाद का पुनर्मूल्यांकन जैन वाक्य-दर्शन जैन न्याय में अनुमान-विमर्श आचार्य जिनसेन का दार्शनिक दृष्टिकोण 'तत्त्वमसि' वाक्य तपः साधना और आज की जीवन्त समस्याओं के समाधान श्रमण आचार-मीमांसा कषाय-कौतुक और उससे मुक्ति : (साधना और विधान) प्रायश्चित्त : स्वरूप और विधि/ जैन सन्त और उनकी रचनाएँ भगवान् महावीर एवं बुद्ध : एक तुलनात्मक अध्ययन जैन-भू-गोल-विज्ञानम् धर्म और विज्ञान आर्य ग्रन्थों में व्यवहृत पारिभाषिक शब्दावलि और उसका अर्थ अभिप्राय अभाव प्रमाण : एक चिन्तन अनुसंधान की कार्य-प्रणाली विदेशी जैन विद्वानों के सन्दर्भ में सोमदेवसूरिकृत-यशस्तिलकचम्पू में प्रतिपादित दार्शनिक मतों की समीक्षा १३२ डा० पुष्पलता जैन डा० तेजसिंह गौड़ डा० विजयकुमार जैन १३२ १४६ १५० स्व० मुनि अभयसागरो गणी साध्वी मंजूश्री डा० आदित्य प्रचण्डिया 'दीति' १५६ १६१ १७१ रमेश मुनि शास्त्रो डा० जगदीशचन्द्र जैन १७५ जिनेन्द्रकुमार जैन १८२ का और कहाँ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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