________________
आपा अन्य भी अनेक उपन्यास लिखे हैं । पर वे प्रकाशित नहीं हो सके हैं । आपके उपन्यासों में सबसे बड़ी विशेषता है कि उसमें एक प्रेरणा है, जीवन-
निर्माण करने की एक दिशा है । उपन्यासों में शांत और वीर रस की प्रधानता है । देश, काल और वातावरण का चित्रण भी सहज रूप से हुआ है। आपकी भाषा-शैली विषय के अनुरूप परिधान धारण करती हैं । भाषा, शैली में प्राइजलता, प्रवाहशीलता का सहज संगम है। आपने भाषागत शब्द शक्तियों-अभिधा, लक्षणा और व्यंजना शैली का सम्यक उपयोग किया है। बोध कहा
जहाँ आपने उपन्यास विधा में लिखा है वहाँ आपने लघु कथाएँ, बोध कथाएँ भी पर्याप्त मात्रा में लिखा हैं । वोध कथाओं में किसी भी विशिष्ट व्यक्तियों के वे प्रसंग उन्होंने दिए हैं जो अन्तर को छते हैं। हीर-कणी की तरह वे दिखने में छोटे पर प्रभावकता में पैने हैं। वे हृदय को झकझोर देते हैं। कुछ प्रसंग यहाँ पर दे रहे हैं जिससे कि प्रबुद्ध पाटकों को उनकी प्रेरणा और उद्बोधन का सहज सुबोध हो सके ! एक नमूना देखिए---
मातृ भूमि को कलंक नेताजी सुभाषचन्द्र बोस आई. सी. एस. की परीक्षा समुत्तीर्ण कर भारत आथे । उन्हें नौकरी के लिये एक लिखित परीक्षा में सम्मिलित होना था। वे परीक्षा में सम्मिलित हए । एक अंग्रेजी अंशका अनुवाद करना था, वह अंश यह था-Indian soldiers are generally dishonest.
अर्थात्-भारतीय सैनिक सामान्यतया बेईमान होते हैं।' इस अवतरण को पढ़ते ही उनकी भृकुटियाँ तन गईं। उन्होंने निरीक्षक महोदय को कहा-"इस अंश को प्रश्न-पत्र में से निकाल दिया जाय।'
निरीक्षक महोदय ने कहा-- "यह प्रश्न अनिवार्य है, इसे हल करना होगा। यदि इसे हल नहीं। किया तो इसके अंक प्राप्तांकों में से कट जायेंगे।'
सुभाष बाबू ने स्पष्ट शब्दों में कला-मुझे इस प्रकार की परीक्षा नहीं देनी है और उन्होंने उसी समय प्रश्न-पत्र फाड़ दिया और परीक्षा भवन से निकल गये। उनका स्पष्ट मन्तव्य था कि जिस कार्य: से मातृ-भूमि को कलंक लगे, वैसा कार्य नहीं करना है।
आपने लघु कथाएँ, बोध कथाएँ आदि लिखकर साहित्य जगत में कथा रस को नया स्वरूप प्रदान किया है । आपकी कथाओं में न केवल धार्मिक व आध्यात्मिक ज्ञान है, किंतु नेतिक प्रेरणा, राष्ट्रीय भावना, देश प्रेम, स्वाभिमान, कर्तव्य पालन और परोपकार सेवा की अंगड़ाईयाँ भरती हुई कथा कलिया मुस्करा रही है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org