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# साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ
होकर अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पित करने का निर्णय लिया । यह हम सभी के लिए गौरव की बात है ।
महासती पुष्पवतीजी सद्गुरुणीजी श्री सोहन कुंवरजी म. की सुशिष्या हैं। श्री सोहनकुंवरजी म. एक बहुत ही विलक्षण प्रतिभा की धनी थी । उनका त्याग, उनका वैराग्य और उनका प्रभाव सभी कुछ अद्भुत था। मेरे पूज्य पिता श्री सेठ नाथूलाल जी सा. परमार आचार्य अमरसिंह सम्प्रदाय के प्रमुख श्रावक थे । सद्गुरु और सद्गुरुणी के प्रति उनका जीवन पूर्ण समर्पित था । इसलिए बाल्यकाल से ही हमारा परिवार सभी सन्त-सतियों से परिचित रहा ।
मैं महासती पुष्पवतीजी को ५० वर्षों से जानता हूँ जब उन्होंने दीक्षा ली तभी से हमारा परिचय रहा है । सद्गुरुणी पुष्पवतीजी में जो धीरतागम्भीरता मैंने देखी है, वह अन्य सतियों में कम
देखने को मिलती है । वे सद्गुणों के कारण अपनी ककककककककककকককককককককককককককৰুককককৰককক| प्रगति कर सकी हैं । वे जहाँ भी जाती हैं; सर्वत्र - जन मानस को प्रभावित करती हैं ।
दीक्षा स्वर्ण जयन्ती के इस अवसर पर मैं अपनी ओर से व परिवार की ओर से अनन्त श्रद्धा | समर्पित करते हुए अत्यधिक गौरवान्वित हूँ ।
एक महान जीवन — रोशनलालजी झगड़ावत,
महासती पुष्पवतीजी का व्यक्तित्त्व असीम और अपरिमित है । उनके मधुरिमापूर्ण व्यक्तित्त्व को निहार कर दर्शक मुग्ध हुए बिना नहीं रहता । उन्होंने ज्ञान और ध्यान की साधना से, संयम और तप की आराधना से अपनी आत्मा को पावन किया है, पवित्र किया है । उनके कठोर त्याग और उग्र तप से समाज को नई चेतना, नई जागृति और नई स्फूर्ति समुत्पन्न हुई है । उनके मार्ग दर्शन से जनता को सुख-शान्ति सन्तोष और आनन्द मिला है, और मिल रहा है । उनकी दीक्षा स्वर्ण जयन्ती के मंगलमय अवसर पर मैं हार्दिक भाव से श्रद्धा सुमन समर्पित कर रहा हूँ और उनके बताये हुए मार्ग पर चलकर हम अपने जीवन को महान बनाएँ यही मंगल मनीषा करता हूँ ।
(उदयपुर)
किसी भी सन्त व सतो जन के दिव्य व भव्य गुणों का स्मरण और उत्कीर्तन करना किसी भाग्यशाली को ही प्राप्त होता है । वस्तुतः सन्त व सती वृन्द के गुणों का चिन्तन जीवन के विकास और उत्थान का साधन है । उन महापुरुषों के ध्यान से, चिन्तन से ध्याता का जीवन भी दिव्य और भव्य बन जाता है ।
११० । प्रथम खण्ड शुभकामना : अभिनन्दन
यथा नाम तथा गुण
- भंवरीलाल फुलफगर (घोडनदी)
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महासती पुष्पवतोजी एक प्रखर चिन्तक, प्रभावी व्याख्याता, प्रबल संगठक और विशिष्ट साधना सम्पन्न सती हैं । एक ओर आपका जीवन साधनामय रहा है । आत्म-कल्याण की और प्रवृत्त है तो दूसरी ओर समाजोत्थान की मंगलमय भावना भी आप में अठखेलियां कर रही है ।
महासती पुष्पवतीजी का परिचय कई वर्ष पुराना है । मैंने एक बार आपके दर्शन किशनगढ़ में किए थे। यों नाम मैंने बहुत ही सुन रखा था । उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी म. का सन् १९६८ में घोडनदी वर्षावास था । उस समय श्री देवेन्द्र मुनि जी से उनका परिचय मिला था । पर दर्शन करने
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