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काव्यांजलियाँ भी संकलित की गई हैं तृतीय खंड 'काव्यांजलि' में ।
चतर्थ खंड 'स्मरणांजलि' में गुजराती लेखों का संग्रह है। प्रारंभ में पंजाब की चार विभूतियों का जीवन परिचय है। पंचम खंड में An Humble Homage नाम के अन्तर्गत अंग्रेजी लेखों का संकलन है। ग्रन्थ को सभी प्रकार से हमने अद्वितीय बनाने का प्रयास किया
इस ग्रन्थ के प्रेरक परमार क्षत्रियोद्धारक आचार्य श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज का आशीर्वाद हमारा सबसे बड़ा संबल बना है। उन्हीं के साथ पूज्य कार्यदक्ष आचार्य श्रीमद् विजय जगच्चन्द्र सूरीश्वरजी महाराज का मार्गदर्शन हमें अपने कार्य में पग-पग पर मिला है । एतदर्थ आचार्य द्वय के हम ऋणी हैं।
सभी लेखकों के साथ-साथ हमें अपने कार्य में अनेक महानुभावों का प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग मिला है जिनमें प्रमुख हैं सुप्रसिद्ध कला मर्मज्ञ श्रीकांति रांका, श्री विजयानंद सूरि साहित्य प्रकाशन फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री मदनलालजी, मंत्री श्री मघराजजी मेहता, माणक ऑफसेट प्रिन्टर्स, जोधपुर के श्री मनीष कुमार चोपड़ा, विजय इन्द्र संदेश के सम्पादक श्री प्रकाश चन्द्र बोहरा, गुजराती के प्रूफ संशोधन में श्री चिमनभाई ‘कलाधर', श्री किरीट भाई धूव आदि अनेक नाम जिनका हम आभार व्यक्त करते हैं।
श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज अपने जीवन और कार्य से कालजयी महापुरुष है। आने वाली पीढ़ियां उनकी आगत संख्यातित शताब्दियाँ मनाएंगी। हमारा परम सौभाग्य है कि हमें उनकी प्रथम शताब्दी मनाने और उनका शताब्दी ग्रन्थ निकालकर श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। हम अपने जीवन में आए इस अविस्मरणीय अवसर के लिए कृतकृत्य
हुए हैं।
- मुनि नवीनचन्द्र विजय - डॉ. रमनलाल ची. शाह - प्रो. श्रीपाल जैन
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