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श्रीमद् विजयानंद सूरि का जीवन संदेश
___- आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्न सूरि विश्व वंद्य विभूति, न्यायाम्भोनिधि आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज प्रसिद्ध नाम आत्मारामजी महाराज के स्वर्गारोहण के सौ वर्ष पूर्ण हुए हैं। समय अपनी गति से सदा चलता रहता है। अनंत शताब्दियां बीत चुकी है। अनंत कालचक्र गुजर चुके हैं, फिर भी समय का कोई छोर नहीं आया न आएगा। इसी समय के साथ मनुष्य जन्म लेता है, जीता है और अपने जीवन का समय पूर्ण करके मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। जन्म भी समय है और मृत्यु भी समय है । समय बलवान है, अपराजेय है और सर्वोपरि है। मनुष्य इसी समय के साथ इसी समय के आसपास जीता है।
समय अपराजेय है; किन्तु संसार में कुछ महापुरुष होते हैं जो इस समय को जीतकर कालजयी हो जाते हैं । सैंकड़ों और हजारों शताब्दियां भी उनके नाम और काम को मिटा नहीं पाती । उनके यश रूपी शरीर पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
पूज्य श्री विजयानंद सूरि महाराज ऐसे ही एक कालजयी महापुरुष हैं, जिनके यश रूपी शरीर पर शताब्दी की पूर्णता का कोई असर नहीं हुआ है। उनका नाम और काम आज भी जीवित है । हजारों शताब्दियां बीत जाएगी, फिर भी वे सदा जीवित रहेंगे।
उनका जीवन एक दीपक की तरह है। चारों ओर गाढ़ा अंधकार हो, कोई रास्ता सूझता न हो, ऐसे में एक छोटा सा दीपक उसका सबसे बड़ा सहारा बन सकता है । उस दीपक के प्रकाश से वह अपना रास्ता खोजकर अपने निर्धारित लक्ष्य पर पहुंच सकता है । पूज्य श्री विजयानंद सूरि
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श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ
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