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प्रसन्नता, खराब दृष्टि का नाश उपद्रव व भयों से रक्षा, कुटुम्ब का सुख व आरोग्य, सुखमय जीवन, भूत-प्रेत, शाकिनी, डाकिनी-व्यन्तर तथा इसी प्रकार के हल्के जाति के दूसरे देवों से रक्षा कर सुख समृद्धि कारक अवसरों में सहायक होता है।
इस प्रकार प्रगतिगत नियमों पर आधारित इस गूढ़ विज्ञान को पूर्वाचार्यों ने जनसामान्य के कल्याणार्थ प्रस्तुत किया है। आज आवश्यकता इस बात की है कि उन लुप्त प्राय: विधि विधानों की खोज एवं परीक्षण किये जाय, जिससे स्वयं का ही नहीं वरन् मानव मात्र का कल्याण
होगा।
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श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ
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