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तान्त्रिक रूप से जिस वस्तु यन्त्र-मन्त्र व क्रिया की न्यूनता किंवा भण्डार रही है, उसे निरन्तर प्रयोगों एवं उसके परिणामों के आधार पर परिवर्तन/परिवर्धन कर एक पूर्ण इकाई तन्त्र बनाने का प्रयास किया गया है। यही नहीं इसके परिणाम पूर्व के प्रयोगों की अपेक्षा उत्तरोत्तर सन्तोषजनक रहे हैं।
मेरे मन्त्र शास्त्र के विद्या एवं दीक्षा गुरू सन्मार्ग दिवाकर निमित्त ज्ञान शिरोमणि १०८ आचार्य श्री विमलसागरजी की सन् १९९० के वर्ष हीरक जयन्ती की स्मृति को बनाये रखने अपने उन्हीं गुरू से प्राप्त विद्याओं एवं स्वशोधित व परीक्षित विद्याओं में से उन्हीं गुरूदेव के प्रति भक्ति सुमन के रूप में “धर्मायतन, आवास कारोबार : एक सुख समृद्धि कारक तन्त्र” जन सामान्य के उपयोगार्थ यह प्रयोगत : छोटा सा प्रयास प्रस्तुत कर रहा हूं । मेरी अल्पज्ञता से त्रुटि रह जाना संभव है अत: विज्ञ बन्धु उसे सुधार कर मुझे सूचित करने का कष्ट अवश्य करेंगे ऐसी विनम्र प्रार्थना है। इसी के साथ मेरे उन बन्धुओं से भी निवेदन है कि इस प्रयोग के सम्बन्ध में जिन्हें शंका समाधान की अपेक्षा है वे नि:संकोच पत्र-व्यवहार कर सकते हैं। __शान्ति व अशान्ति के शमन हेतु जिस स्थान पर इस प्रयोग को करना है । उसे निम्न प्रकार श्री सम्पन्न करना है
कुण्ड निर्माण :-जिस स्थान पर इस क्रिया को करना हो उस स्थान के मुख्य द्वार के दायीं ओर एक पक्का १ १/४'४१ १/४'x२' का कुण्ड तैयार करवाना होगा।
ढक्कन सहित ताम्र कलश क्रय :-किसी भी शुभ तान्त्रिक मुहूर्त में एक बडा ताम्बे का ढक्कन सहित कलश खरीद कर तैयार रखना है।।
धातुगत मन्त्रों एवं अन्य सामग्री का निर्माण :-किसी भी शुभ तान्त्रिक मुहूर्त में निम्न मन्त्र एवं सामग्री तैयार करवानी है :
१. चांदी का कूर्मचक २. ताम्बे का अनुस्वार युक्त विघ्न विनाशक मातृका यन्त्र ३. चांदी का स्वस्तिक बीसा यन्त्र ४. चांदी का नाग-नागिनी (धरणेन्द्र-पद्मावती) ५. ताम्बे का विघ्न विनाशक श्री पार्श्वनाथ यन्त्र (स्टेण्ड वाला) ६. चांदी की एक जोड़ चरण पादुका
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श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ
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