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विचारवंतों के दृष्टि में कुछ भी हो जाय हमें उसका क्या डर ? और से नहीं, केवल जिनवाणी का डर अवश्य हैं । कभी किसी प्रकार से मार्ग की निराधना न हो।'
आचार्य श्री की महत्ता रत्नत्रय के अभिव्यक्ति में थी जो कि आदर्श स्वरूप थी। आचार्य श्री के चरणों में सादर श्रद्धांजलि समर्पित हो ?'
मुनि सम्भवसागर
मुनि बाहुबली सागर यदि अवतार न होता ? यदि आचार्य महाराज का इस प्रशांत और आदर्श रूप में इस भारत भूमि में अवतार न होता तो दिगम्बर जैन मुनि के दर्शन असंभव होते । आचार्य श्री के चरणों की स्मृति में सादर नमोस्तु । आचार्य श्री की पुण्यस्मृति ऐसी हो जिससे आत्मोन्नति के लिए प्रकाश मिलता रहे और वैराग्य भाव जागृत होता रहे ।
मुनि श्री भव्यसागर
[चौमासा अकलूज] पवित्र-जीवनी (मुनि श्री १०८ नमीसागरजी आचार्य श्री १०८ महावीरकीर्ति द्वारा दीक्षित)
मैं परम पूज्य आचार्य श्री १०८ शांतिसागर महाराज की जीवन गाथा से प्रभावित हूँ। उनके नाम से स्थापित श्री शांतिसागर अनाथ छात्राश्रम शेडवाळ (म्हैसूर ) इस आश्रम में मैं पढा हूँ। जब मैं बाल्यवस्था में पढता था तब उनकी समाधि श्री सिद्धक्षेत्र कुन्थलगिरि पर हुई। आश्रम के विद्यार्थियों को समाचार सुनकर बहुत दुःख हुआ।
- आचार्य श्री का जन्म चतुर्थ जाती में हुआ। आचार्य श्री की पवित्र जीवनी हमारे लिए श्रद्धा की वस्तु है।
इस महा विभूति ने जिनधर्म और मुनिमार्ग प्रचलित (प्रकाशित ) किया, जिसका हम जैसे अल्पज्ञ क्या वर्णन करें।
उनके स्मृति में कृतज्ञता पूर्वक कोटिशः प्रणाम करके आदरांजलि अर्पण करता हूँ।
परम श्रद्धास्पद
श्री १०८ नेमीसागर महाराज आचार्य श्री का दर्शन हमें बाल्यवस्था में हमारे गाँव में (नखाली - राजस्थान ) आये थे तब हो पाया था । इसके बाद में कभी आपका दर्शन नहीं मिल सका । आचार्य श्री १०८ महावीर कीर्तीजी महाराज के सम्पर्क में रहकर उन्हीं के पास दीक्षा ली । स्व. पूज्य आचार्य श्री की पवित्र जीवनी हमारे लिए श्रद्धा की
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