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________________ तथा श्रद्धांजलि भेजनेवाला श्रद्धावनत भक्तगण इन सब के सहकार्य से स्मृतिग्रन्थ का पूर्वभाग समाज के सन्मुख आ सका है। उन महानुभावों ने तो अपना भक्तिभाव तथा कृतज्ञताही प्रदर्शित की। परंतु इस स्मृतिग्रन्थ के संपादन तथा प्रकाशन में उनका सहयोग प्राप्त हुआ है। इसलिए उन सब का यथायोग्य विनयपूर्वक कृतज्ञता के साथ आभार मानता हूं । उत्तरार्ध के संपादन में जिन जिन विद्वानों को हमने निबंध लिखकर भेजने को लिखा प्रायः उन सब विद्वज्जनों ने हमारी प्रार्थना स्वीकृत करके अपने अभ्यासपूर्ण प्रबन्ध भेजे, उनके निबन्धद्वारा ही इस स्मृतिग्रन्थ की उपयुक्तता तथा सौंदर्य बढा हुआ है यह हम जानते हैं। किन शब्दों में हम कृतज्ञता का भाव प्रगट करें? उनका ऐसाही अनुग्रह बना रहे और हमें साहित्य प्रकाशन में उनका सहयोग मिलता रहे ऐसा आंतरिक भाव प्रगट करके उनके ऋण का निर्देश करते हैं। ग्रंथ की छपाई की निगरानी तथा मुद्रासंशोधन का काम श्री. प्रा. शां. ज. किल्लेदार तथा उनके भाई श्री. हिराचंद्र किल्लेदार इन्होंने संभाला । इसलिए उक्त दोनों भाइयों का हम हृदय से आभार मानते हैं । ग्रंथ की सुरुचिपूर्ण छपाई तथा सजावट नागपूर के नारायण मुद्रणालय के श्री. पां. ना. बनहट्टी, सुपुत्र मधुसूदन, सेवकवर्ग इन्होंने अच्छी तरह से की। जिन्होंने हमें इस कार्य में सहयोग प्रदान किया उन सबका हम आभारी हैं। ग्रंथ में जो दोष या त्रुटियाँ रह गयीं उसकी जानकारी हमें देकर विद्वज्जन हमें क्षमा करेंगे ऐसा विश्वास है। आचार्यश्री के जीवन तथा संस्मरणों से प्रेरणा लेकर तथा उत्तरार्ध में विद्वज्जनों के निबन्ध पढकर मुमुक्षुओं को आत्मकल्याण की प्रेरणा मिलेगी तथा जिनवाणी के अध्ययन में प्रेरणा और मार्गदर्शन मिलेगा ऐसा हमें विश्वास है। इसमें ही हम हमारे प्रयास की सफलता मानते हैं। तथा आचार्यश्री के जन्मशताब्दि के सुअवसरपर यह ग्रंथ समाज के सन्मुख रखते हुए कृतज्ञता का आनंद प्रदर्शित करते हैं। भवदीय श्री. मोतीलाल मलुकचंद दोशी, मंत्री श्रुतभंडार व ग्रंथ प्रकाशन समिति श्री. वालचंद देवचंद शहा, मंत्री श्री १०८ चा. च. आ. शांतिसागर दि. ज. जिनवाणी जीर्णोद्धारक संस्था ५।६।१९७३, श्रुतपंचमी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012022
Book TitleAcharya Shantisagar Janma Shatabdi Mahotsav Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan
PublisherJinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan
Publication Year
Total Pages566
LanguageHindi, English, Marathi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size14 MB
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