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आचार्य श्रीमान् नेमिचन्द्र व बृहद्रव्यसंग्रह
पं. नरेंद्रकुमार जयवंतसा भिसीकर जैन (न्यायतीर्थ )
१. ग्रन्थ नाम निर्देश यह 'बृहद्रव्यसंग्रह ' ग्रन्थ द्रव्यानुयोग का एक अनुपम ग्रन्थ है। आचार्यदेव ने प्रथम १ से २६ गाथा तक लघुद्रव्यसंग्रह नामक ग्रन्थ रचा । बाद में विशेष वर्णन करने की इच्छा से बृहद्र्व्यसंग्रह रचा । इसकी मूल गाथाएँ ५८ हैं ।
२. ग्रन्थकर्ता परिचय इस ग्रन्थ के मूल गाथा कर्ता आचार्य भगवान् नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती हैं। इनका विशेष परिचय संस्कृत-भुजबलि चरित्र के अनुसार इस प्रकार है
द्रविड देश में मधुरा (मडूरा) नामक नगरी थी । उसके राजा राजमल्ल, तथा मन्त्री 'चामुंडराय' थे। उनसे किसीने कहा कि उत्तर दिशा में एक पोदनपुर नगर है। वहां श्री भरतचक्रवर्ती द्वारा स्थापित कायोत्सर्ग श्री बाहुबली का प्रतिबिंब है। जो कि वर्तमान में 'गोम्मटदेव' इस नाम से प्रसिद्ध है।
श्री चामुंडराय ने जब तक श्री बाहुबली के प्रतिबिंब का दर्शन न होगा तब तक दूध नहीं पीऊंगा, ऐसी प्रतिज्ञा कर बाहुबली के दर्शनार्थ आचार्य नेमिचन्द्र के साथ श्री चामुंडराय ने प्रस्थान किया। बीच में किसी पर्वत पर जिनमंदिर का दर्शन कर वहां निवास किया। रात्रि में कूष्मांडी देव ने स्वप्न में आकर कहा कि इसी पर्वत में रावण द्वारा स्थापित श्री बाहुबली का प्रतिबिंब है। धनुष्य में सुवर्ण का बाण चढाकर पर्वत का भेदन करने पर प्रकट होगा।
श्री चामुंडराय ने उसी प्रकार किया और वहां से श्री बाहुबली का २० धनुष्य प्रमाण प्रतिबिंब प्रकट हुआ । उन्होंने भगवान् का अभिषेक कर भक्तिभाव से पूजन किया, अपने को धन्य समझा ।
___इस कथानक से आचार्य नेमिचन्द्र चक्रवर्ती का जीवन काल शक सं. ६०० विक्रम संवत ७३५ इसवी सन ६७९ था यह सिद्ध होता है । इनके रचित अन्य ग्रन्थ गोम्मटसार आदि हैं ।
श्री नेमिचन्द्र आचार्य नंदीसंघ देशीयगण के प्रमुख आचार्य थे। उनके गुरु अभयनंदी, वीरनंदी, इंद्रनंदी, कनकनंदी ये चार महान् आचार्य थे । तत्कालीन राजा राजमल्ल, चामुंडराय, राजा भोज उनके शिष्य थे।
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