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आ. शांतिसागरजी जन्मशताब्दि स्मृतिग्रंथ अनादि है, फिर भी उसका विनाश सम्भव है। जिस प्रकार बीज के विनष्ट हो जाने पर अंकुरोत्पत्ति की परम्परा के अनादि होने पर भी आगे उसका अभाव हो जाता है, इसी प्रकार बन्ध के कारणों का अभाव हो जाने से उक्त कर्मबन्ध की परम्परा के भी अभाव को समझना चाहिये । बन्ध का कारण आस्रव है, उसके नष्ट हो जाने पर फिर वह कारण के बिना कैसे हो सकता है ? नहीं हो सकता। समस्त कर्म का क्षय हो जाने पर वायु के बिना अग्नि की ज्वाला के समान जीव का स्वभावतः लोकान्त तक ऊर्ध्वगमन होता है, धर्मास्तिकाय के बिना आगे उसका गमन सम्भव नहीं है। वहां सिद्धालय में पहुंचकर वह जहां अनन्तसिद्ध विराजमान हैं वहीं वह भी अवगाहन शक्ति की विलक्षणता से स्थित हो जाता है। जैसे-एक दीपक के द्वारा प्रकाशित क्षेत्र में अन्य अनेक दीपों का भी प्रकाश समा जाता है। इस प्रकार यहां मोक्ष विषयक अनेक शंकाओं का निराकरण करते हुए उसका वर्णन किया गया है। जो निर्बाधसुख कर्म परतंत्र संसारी जीवों को कभी सम्भव नहीं है वह मुक्त जीवों को प्राप्त है व अनन्तकाल तक उसी प्रकार रहनेवाला है।
उपसंहार-पूर्वप्ररूपित सात तत्त्वों का उपसंहार करते हुए अन्त में कहा गया है कि इस प्रकार प्रमाण नय निक्षेप, निर्देशादि और सदादि अनुयोग द्वारों के आश्रय से इन सात तत्त्वों को जानकर मोक्षमार्ग का आश्रय लेना चाहिए। वह निश्चय और व्यवहार के भेद से दो प्रकार का है। निश्चय मोक्षमार्ग साध्य है और व्यवहार मोक्षमार्ग उसका साधक है । अपनी शुद्ध आत्मा का जो श्रद्धान, ज्ञान और उपेक्षा (तद्विषयक राग-द्वेष का अभाव) है; यह रत्नत्रयस्वरूप निश्चय मोक्षमार्ग है तथा परस्वरूप से जो श्रद्धान, ज्ञान और उपेक्षा है, वह सम्यग्दर्शन, ज्ञान व चारित्रस्वरूप व्यवहार मोक्षमार्ग है। जो मुनि परद्रव्यविषयक श्रद्धा, ज्ञान और उपेक्षा से युक्त होता है वह व्यवहारी मुनि है तथा जो स्वद्रव्यविषयक श्रद्धा, ज्ञान और उपेक्षा से सम्पन्न होता है वह निश्चय से मुनिश्रेष्ठ माना जाता है। निश्चय से आत्मा ही ज्ञान है, आत्मा ही दर्शन है और आत्मा ही चारित्र है-आत्मा से भिन्न ज्ञानादि नहीं है। निश्चयदृष्टि से कर्ता, कर्म व करण आदि कारकों का भी भेद सम्भव नहीं है। अन्त में कहा गया है कि जो समबुद्धि-रागद्वेषरहित-जीव इस प्रकार से तत्त्वार्थसार को जानकर मोक्षमार्ग में स्थिरता से अधिष्ठित होता है वह संसार-बन्धन से छूट कर निश्चय से मोक्षतत्त्व को प्राप्त करता है ।
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