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दिगम्बर जैन पुराण
साहित्य
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विनयधर, श्रुतिगुप्त, ऋषिगुप्त, शिवगुप्त, मन्दरार्य, मित्रवर्य, बलदेव, बलमित्र, सिंहबल, वीरविद्, पद्मसेन, व्याघ्रहस्ति, नागहस्ति, जितदण्ड, नन्दिषेण, दीपसेन, धरसेन, धर्मसेन, सिंहसेन, नन्दिषेण, ईश्वरसेन, नन्दिषेण, अभयसेन, सिद्धसेन, अभयसेन, भीमसेन, जिनसेन, शान्तिषेण, जयसेन, अमितसेन, कीर्तिषेण और जिनसेन' । ( हरिवंश के कर्ता )
इसमें अमितसेन को पुन्नाट गण का अग्रणी तथा शत वर्ष जीवी बतलाया है । वीर निर्वाण से लोहाचार्य तक ६८३ वर्ष में २८ आचार्य बतलाये हैं । लोहाचार्य का अस्तित्व वि. सं. २१३ तक अभिमत है और वि. सं. ८४० तक हरिवंश के कर्ता जिनसेन का अस्तित्व सिद्ध है । इस तरह ६२७ वर्ष के अन्तराल में ३१ आचार्यों का होना सुसंगत है ।
हरिवंश पुराण की रचना का प्रारम्भ वर्द्धमानपुर में हुआ और समाप्ति दोस्त्रटिका के शान्तिनाथ जिनालय में हुई । इसकी रचना शकसंवत ७०५ में हुई जिसका विक्रम संवत ८४० होता है ।
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१. हरिवंश पुराण, सर्ग ६६, श्लोक २२-२३ ।
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