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आ. शांतिसागरजी जन्मशताब्दि स्मृतिग्रंथ
आचार्य श्री का व्यक्तित्व लोकोत्तर था। उनकी साधु शिष्य परंपरा से उनकी स्मृति चिरकाल कायम रहेगी । आचार्य श्री के चरण कमलों में इस पावन अवसर पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि है ।
रा. ब. सर सेठ राजकुमार सिंह, इन्दौर
पुनीत चरणों का सान्निध्य - परम सौभाग्य
प्रातःस्मरणीय धर्म साम्राज्य नायक चारित्रचक्रवर्ती, परम तपोनिधि, योगीन्द्र चूडामणि, परमपूज्य आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज इस युग के महानतम ज्ञान - चारित्र की विभूति थे । वर्तमान में आध्यात्मिक उन्नयन का मार्ग प्रशस्त करनेवाले अद्वितीय साधु - रत्न थे । उनकी कठोरतम तपश्चर्या इस युग की एक आश्चर्यजनक विजय थी । इस कलि काल में आचार्यप्रवर कुन्दकुन्द की अक्षुण्ण परम्परा के वे साहसी संवाहक थे । उन्हें देखकर प्राचीन महर्षियों की स्मृति पुनर्जीवित हो उठती है ।
मेरा परम भाग्योदय था कि मैंने आचार्य श्री का अनेक बार निकट सान्निध्य प्राप्त किया । भा. दिगम्बर जैन महासभा के तत्कालीन अध्यक्ष के रूप में परमपूज्य आचार्य श्री से सामाजिक दिशा-बोध हेतु आदेश प्राप्त करने का भी अनेकों बार सुअवसर मिला । उनकी त्वरित निर्णय-बुद्धि, युक्तियों ब विवेक पूर्ण दीर्घ चिन्तन से गंभीरतम संकटों व समस्याओं का अबाधित सुविधाजनक निष्कर्ष प्राप्त कर आश्चर्यान्वित हो जाना पडता था । वस्तुतः आचार्य श्री अलौकिक अद्भुत प्रतिभा के पुंज थे ।
स्व. पूज्य आचार्य श्री ने देश-व्यापी धर्म- दुन्दुभि का व्यापक उद्घोष किया था । उनके अजमेर पदार्पण पर हमें निकट सेवा का भी परम सौभाग्य प्राप्त हुआ था । अजमेर के इतिहास में यह एक अभूतपूर्व शुभावसर था । जिसकी पावन स्मृति आज भी जैन व अजैन समुदाय पर अंकित है । परमपूज्य आचार्य श्री का चरण सान्निध्य समग्र भक्त समुदाय के लिए चरम सौभाग्य था ।
दक्षिण भारत से उत्तर भारत में मुनि विहार का मार्ग प्रशस्त करनेवाले आप आद्य मुनीश्वर थे । इस युग में मुनि संस्था का यशस्वी संस्थापक यदि आप को कहा जाय तो कोई अत्युक्ति नहीं है ।
ऐसे महान तपस्वीरत्न ऋषिराज के प्रति श्रद्धाभक्ति समर्पित करने के लिये एक स्मृतिग्रन्थ प्रकाशित करने की योजना स्वागतार्ह है ।
मैं परमपूज्य आचार्य श्री के तपःपूत पावन चरणों में अपनी विनम्र श्रद्धा समर्पित करता हूँ ।
घ. श्री सेठ भागचंदजी जैन, रईस, अजमेर
श्रद्धांजलि
पू. आचार्य श्री शांतिसागर यांचे जीवन आपणा सर्वांना एखाद्या दीपस्तंभासारखे मार्गदर्शन देणारे होते. त्यांच्या जीवनरूपी सागरातील एक ओंजळ पाण्याइतके आचरणही आपल्या आयुष्यात अतीव हितकारक ठरेल.
सेठ लालचंद हिराचंद, मुंबई
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