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________________ : ५६६ : उदार सहयोगियों की सूची श्री जैन दिवाकर स्मृति-ग्रन्थ स्व० सुश्री किरन वैद की स्मृति में आप देहली निवासी श्रीमान शान्तिलाल जी बैद की होनहार सुपुत्री थीं। बचपन से ही बड़ी संस्कारी, प्रतिभा सम्पन्न और धार्मिक विचार की थीं। माता-पिता की दुलारी थीं। अध्ययन में भी अच्छी गति थी। संसार में कुछ फल खिलने से पूर्व ही मझा जाते है और उनकी मधर सवास से हम वंचित रह जाते हैं । यही हाल सुश्री किरन के विषय में हुआ। उनका जन्म २७-६-६१ को हुआ था। और सोलह वर्ष की कोमल कच्ची आयु में दिनांक ५ अक्टूबर, १९७७ को कर काल ने उनको उठा लिया। सुश्री किरन की स्नेह स्मृति में गुरुभक्त धर्मप्रेमी श्रीमान शान्तिलाल जी बैद स्मृतिग्रन्थ प्रकाशन में सहयोगी बने हैं। स्व० श्री जमनादास जी सुराना, देहली श्रीमान जमनादास जी स्व० श्रीपन्नालाल जी सुराना के सुपुत्र थे । आप अपने पिताजी की ही भांति सामाजिक कार्यों में भाग लेने वाले धार्मिकवृत्ति के सदाचारी ससंस्कारी श्रावक थे। आपका स्वर्गवास १८ मार्च, १९६६ को जयपुर में हुआ। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती धनकंवर जी भी अच्छी धर्मानुरागिणी तथा दानशील महिला है। आपने अनेक प्रकार की तपस्याएँ की हैं। '१५ का थोकड़ा बड़ा पक्खवासा, ओलीजी, चौविहार आयंबिल आदि तपस्या करती रहती हैं। आप साधु-सन्तों की सेवा में तथा गरीब-दुखियों की सहायता करने में सदा तत्पर रहती हैं। आपके १ पुत्र व ४ पुत्रियां हैं। पुत्र श्री जगमोहनलाल जी मी आपकी ही माँति धर्म-समाज आदि की सेवा में अग्रणी रहते हैं। श्रीमान पुखराजजी किशनलालजी तातेड़ सिकन्दराबाद सेठ श्री गुलाबचन्दजी तातेड़ सिकन्दराबाद (आं० प्र०) के प्रमुख श्रावकों की गणना में थे। आपके सुपुत्र श्रीमान पुखराज जी एवं श्री किशनलाल जी भी वहाँ की सामाजिक तथा धार्मिक गतिविधियों के प्रमुख सूत्रधर हैं । आपकी धार्मिक भावना, त्याग-प्रत्याख्यान की वृत्ति विशेष प्रेरणादायी है। खादीधारी तपस्वी श्री गणेशीलाल जी महाराज के प्रति आपकी बड़ी भक्ति है। उनसे आपने अनेक त्याग-प्रत्याख्यान भी ग्रहण किये हैं। स्थानीय धार्मिक कार्यों में सदा आपका सहयोग मिलता रहता है। पोट मार्केट (सिकन्दराबाद) में आपका सर्राफा का व्यवसाय है। अपने व्यापार में भी बड़े प्रामाणिक हैं । आपका भरापूरा परिवार है । सभी बड़े सुसंस्कारी व सुशील हैं। श्रीमान सेठ भंवरलाल जी बांठिया, बेंगलूर श्रीमान भंवरलाल जी बाँठिया, बेंगलोर स्थानकवासी जैन समाज के एक उत्साही विचारवान सज्जन हैं । सामाजिक तथा धार्मिक कार्यों में सदा सक्रिय रहते है । लायन्स क्लब बैंगलर के आप पदाधिकारी भी रह चके हैं। अनेक शिक्षण संस्थाओं तथा समाज-सेवी संस्थाओं से आपका सम्बन्ध रहा है। साधु-सन्तों की सेवा तथा समय-समय पर दान आदि करते रहते हैं । आपकी धर्मपत्नी भी धार्मिक प्रवृत्ति की हैं। बच्चे भी संस्कारी हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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