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अनुक्रमणिका
षष्ठम विभाग हृदयस्पर्शी और ओजस्वी प्रवचन कला : एक झलक श्री चौथमलजी महाराज की प्रवचन कला
डा० नरेन्द्र भानावत प्रसिद्धवक्ता श्री जैन दिवाकर जी महाराज के प्रेरक प्रवचनांश प्रा० श्रीचन्द जैन वाणी के जादूगर श्री जैन दिवाकर जी महाराज
सुरेश मनि शास्त्री विचारों के प्रतिबिम्ब
(संकलन) सप्तम विभाग भक्ति, उपदेश, वैराग्य और नीति की स्वर चेतना गुम्फित में
जैन दिवाकरजी के प्रिय पद्य
[संकलन-श्री अशोक मनि] भक्ति-स्तुति प्रधान-पद वैराग्य-उपदेश प्रधान-पद
अष्ठम विभाग चिन्तन के विविध बिन्दु : धर्म, दर्शन, संस्कृति और इतिहास आत्मा : दर्शन और विज्ञान की दृष्टि में ।
श्री अशोक कुमार सक्सेना आत्मसाधना में निश्चयनय की उपयोगिता
श्री सुमेर मुनिजी नयवाद : विभिन्न दर्शनों के समन्वय की अपूर्व कला श्रीचन्द चौरडिया, न्यायतीर्थ श्रतज्ञान एवं मतिज्ञान : एक विवेचन
डा. हेमलता बोलिया जैन परम्परा में पूर्व ज्ञान : एक विश्लेषण डा० मुनिश्री नगराजजी, डो० लिट् सदाचार के शाश्वत मानदण्ड और जैन धर्म
डा० सागरमल जैन, एम० ए०, पी-एच० डी० ईश्वरवाद बनाम पुरुषार्थवाद डा० कृपाशंकर व्यास एम० ए०, पी-एच० डी० कर्म : बन्धन एवं मुक्ति की प्रक्रियाएं
मुनिश्री समदर्शीजी 'प्रभाकर' जन-दर्शन में मिथ्यात्व और सम्यक्त्व : एक तुलनात्मक विवेचन डा० सागरमल जैन जैन साहित्य में गाणितिक संकेतन डा० मुकुट बिहारीलाल एम० ए०, पी-एच० डी० ऐतिहासिक चर्चा-धर्मवीर लोकाशाह
डा० तेजसिंह गौड़ एम० ए०, पी-एच० डी० श्रा जन दिवाकरजी महाराज की गुरु-परम्परा
मधुरवक्ता श्री मूलमुनिजी परिशिष्ट सहयोगी परिचय
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