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: १६३ : ऐतिहासिक दस्तावेज
श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्थ
॥श्री॥
जावक नम्बर
७६०-११।४।४० अज ठिकाना अठाना
पट्टा : मोहर छाप
श्रीमान् स्वामिजी चौथमलजी साहब की सेवा में ! अठाणा रि. ग्वालियर
आज आपने कृपा करके अठाना पधारे और धर्मोपदेश mmmmmm.x सुनाया उससे हम बहुत प्रसन्न हुवे व इसी सिलसिले में आपने हमको यह उपदेश दिया कि आपकी जानिब से पोष विदि १० व चैत्र सुदि १३ को हिंसा न होना चाहिए यानी कोई जानवर वगैरह का शिकार या इस किस्म की दूकान न हो इसकी पाबन्दी रक्खी जावे तो बेहतर होगा। चुनाचे हस्ब फरमाने आपके आपकी आज्ञानुसार पाबन्दी रक्खी जावेगी लिहाजा यह पट्टा सेवा में पेश किया जाता है । ता-११-४-४० हेड क्लार्क
सही अंग्रेजी में सरदार रावत विजयसिंह ठिकानेदार ठिकाना अठाना, ग्वालियर स्टेट
सही अंग्रेजी में नायब कामदार
क्लार्क
॥श्री एकलिंगजी ॥
॥श्री रामजी॥ नम्बर ३६
पट्टा अजतरफ ठिकाना सीहाड़ राजे श्री भूपालसिंहजी
__ सक्तावत (असलावत) ई० मेवाड़-रा० उदयपुर जैन सम्प्रदाय के मुनि महाराज श्री चौथमलजी आज मिति सीहाड़ में पधारना होकर बिराजें और व्याख्यान हुवे और मैं भी सेवा में हाजिर हुआ। मेरा मन बहुत प्रसन्न हुआ। नीचे लिखी प्रतिज्ञा करता हूँ।
पौष विदि १० श्री पार्श्वनाथजी भगवान की जन्म गाँठ के दिन सालोसाल अगता पलावेंगे और प्रगना में पलावेंगे।
चैत्र सुदि १३ श्री महावीर स्वामीजी का जन्म उस दिन भी अगता पलावेंगे। चौमासा में चार महिना संत बिराजेगा अगता पलावेंगे व प्रगना में पलावेंगे।
श्री महाराज साहेब को पधारवो होवेगा और पाछो पधारवो होवेगा दोई दिन अगता पाला जावेगा।
अधिक मास में हिंसा नहीं की जावेगा और कोई करेगा तो रोक कर दी जावेगा सो रोक रहेगा।
छोटा जानवर जो बच्चा है; नहीं माऱ्या जावेगा और दूसरे को भी पट्टा में नहीं मारने दिया जावेगा।
ऊपर लिख्या कलम वार सही साबत रहेगा। यह पट्टा लिख मुनि श्री चौथमलजी महाराज की सेवा में पेश हो सनद रहे । सं० १९९६ का महा वदि ७ बुधवार ।
(द०) खुमानसिंह सक्तावत श्री रावला हक्म से लिखा ।
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