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।। श्री जैन दिवाकर- स्मृति-ग्रन्थ
: १६१ : ऐतिहासिक दस्तावेज
सिद्धश्री जैन दिवाकर श्री चौथमलजी महाराज हमारे गाँव बडोली पधारे । जिनके उपदेश सुनने से इस मुजब प्रतिज्ञा कि
(१) हमारी कुलदेवी के नवरात्रि में कोई जीव हिंसा नहीं करांगा बल्कि किसी भी दिन बिलकुल बन्द रहेगा।
(२) हमारी तरफ से जानकर शिकार नहीं खेलेंगे । राजगत देवगत दूसरा का हुक्म की बात अलग है।
यह प्रतिज्ञा मैं व कूवरजी भूपालसिंहजी करते हैं वह आपके भेंट रूप में है। सं० १९९६ का फागण सुदि १०।
द. पृथ्वीसिंह का
द० कु भोपालसिंह का द० केसरीमल पटवारी गलण्डवाला का ठाकुर साहब पृथ्वीसिंहजी
कुंवर साहब भूपालसिंहजी का केवा से लिखा ।
॥श्री एकलिंगजी।
॥श्रीरामजी।
नम्बर ८ । मोहर छाप
सिद्ध श्री महाराजाधिराज महारावतजी साहेब श्रीमदनसिंहजी बनाता (टाक स्टट): राजस्थान ठिकाना बिनोता बचनातु ।
जैन सम्प्रदाय के जैन दिवाकर प्रसिद्ध वक्ता मुनि श्री चौथमलजी महाराज का आज फाल्गुन सुदि ६ शुक्रवार संवत् १९९६ तदनुसार तारीख १५ मार्च सन् १९४० ई० को जीव-दयादि अनेक विषय पर व्याख्यान हआ जिसका प्रभाव मेरे पर तथा मेरी जनता पर अच्छा पड़ा मुझको महाराज का उपदेश बहत प्रिय लगा और व्याख्यान से प्रभावित होकर प्रतिज्ञा करता हैं कि
(१) मुनि श्री चौथमलजी महाराज का आगमन तथा प्रस्थान के दिन बिनोते में आमतौर से अगता रखाया जावेगा।
(२) भादवा विदि ११ से सुदि १५ तक पयूषणों के दिनों में व श्राद्ध-पक्ष में कसाबी दुकान का अगता रखाया जावेगा।
(३) पौष विदि १० जो श्रीपार्श्वनाथ स्वामी का जन्म दिन है और चैत्र सूदि १३ जो महावीर स्वामी का जन्म दिन है। इन दोनों दिन अगता रखाया जायगा।
(४) नवरात्रि के दिनों में ८ आठ बकरा और एक पाड़ा बलिदान होता है । उसमें से तीन बकरे कमी कर दिये गये ।
(५) तेहबा तथा सुअर के अलावा जहाँ तक हो सकेगा जीव हिंसा मैं नहीं करूंगा।
राजगत देवगत के अलावा उपरोक्त प्रतिज्ञाओं की पाबंदी रहेगी। फक्त १५-३-१९४० मिति फागुण सुदि ६ सं १९६६ ।
द० सुखलाल पटवारी का श्रीजी हुजूर का हुक्म से ।
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