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जीवदया और सदाचार के अमर साक्ष्य : १४२ :
श्री जैन दिवाकर - स्मृति-ग्रन्थ
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॥ श्री रामजी ॥ श्री महालक्ष्मीजी !
जैन सम्प्रदाय के मुनि महाराज श्री चौथमलजी का हवा मोहर छाप
: मगरी के महल में आज व्याख्यान हुआ। जो श्रवण कर बहुत आनन्द कानोड़ xniummen> हुआ। अहिंसा धर्म का जो महाराज ने उपदेश किया वह पूर्ण सत्य और वेद सम्मत है, जिससे इस प्रकार प्रतिज्ञा की गई है।
(१) आपके पधारने व विहार करने के दिन अगता रहेगा। (२) पच्चीस बकरे अमरिये कराये जावेंगे ।
(३) यहाँ के तालाब और नदियों में बिला इजाजत मच्छियें आम लोग नहीं मार सकेंगे।
(४) मादीन जानवरों की इरादतन शिकार नहीं की जायगी इसी तरह से पक्षियों के लिए विचार रक्खा जायगा। हु० नं० १५१२
अगता पलने और मच्छिये मारने की रोक के लिए कोतवाली में लिखा जावे और २५ बकरे अमरिये कराने के लिए नाथूलालजी मोदी को मुतला किया जावे। नकल इसकी सूचनार्थ चौथमलजी महाराज के पास भेजी जावे संवत् १९८२ का ज्येष्ठ शुक्ला ८ ता० १८-६-२६ ई०।
॥ श्री रामजी ॥
श्री गोपालजी!
मोहर छाप
जैन सम्प्रदाय के मुनि महाराज श्री चौथमलजी का भिण्डर
पधारना होकर आज मीति असाढ़ कृष्णा ५ को महलों में धर्म व अहिंसा भिण्डर
के विषय में व्याख्यान हुआ। जिसका प्रभाव अच्छा पड़ा और मुझको भी इस प्रभावशाली व्याख्यान से बहुत ही आनन्द प्राप्त हुआ और प्रतिज्ञा करता हूं कि
(१) हिरन व छोटे पक्षियों की शिकार नहीं की जायगी।
(२) इन महाराज के आगमन व प्रस्थान के दिवस भिण्डर में खटीकों की दुकानें बन्द रहेंगी। उपरोक्त प्रतिज्ञाओं की पाबंदी रहेगी लिहाजाहु० नं० २३४२
खटीकों की दुकानों के लिए मुआफिक सदर तामील बावत थानेदार को हिदायत की जावे। और नकल उसकी चौथमलजी महाराज के पास भेजी जावे। संवत् १९८२ असाढ़ कृष्णा ५ ता० ३० जून को सन् १९२६ ई० ।
नं० १३
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