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श्री जैन दिवाकर स्मृति ग्रन्थ
नम्बर १५२१
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प्रतिलिपि – सनदें और हुक्मनामे
[ आदर्श-उपकार : पुस्तक के अनुसार ]
जरूर लि०
माननीय महाराज चौथमलजी,
जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी की सेवा में !
राजेश्री ठाकरां जोरावरसिंहजी साहरङ्गी लिखी प्रणाम पहुँचे अपरञ्च आप विहार करते हुए हमारे गाँव साहरंगी में पधारे और धार्मिक व अहिंसा विषयक आपके व्याख्यान सुनने का मुझको भी सौभाग्य हुआ इसलिए मैंने इलाके में चरन्दे व परन्दे जानवरांन की जो शिकार आम लोग किया करते थे। उनकी रोक के वास्ते और मछलियों की शिकार धार्मिक तिथियों में न होने के दो सरकुलर नं० १५१६-१५२० जारी करके मनाई करदी है। नकलें उनकी इस पत्र के जरिये आपकी सेवा में भेजता हूँ कारण के यह आपके व्याख्यान का सुफल है । फक्त ता० २३-१२-२१ ई० - ठाकरां साहरंगी
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जीवदया और सदाचार के अमर साक्ष्य : १३६ :
॥ श्री ॥
सरकुलर ठिकानां साहरंगी व इजलास राजेश्री ठाकरां जोरावरसिंहजी साहब
मोहर छाप
नं० १५१६
तारीख मजकुर
सही हिंदी में बहादुरसिंह कामदार साहरंगी
ता० २३-१२-२१ ई०
नकल मुताबिक असल के
जो कि धार्मिक तिथि एकादशी, पुनम, अमावस्या, जन्माष्टमी और रामनवमी और जैन धर्मावलम्बियों के पजूसनों में प्रगणे हाजा में शिकार मछलियों की कोई शख्श नहीं करे इसका इन्तजाम होना
हुक्म
हुआ के
मारफत पुलिस प्रगणा हाजा में उन तमाम लोगों को जो अक्सर शिकार मछली किया करते
हैं मुमानियत करदी जावे के खिलाफ वर्जी करने वाले पर सजा की जावेगी । फक्त बाद कारवाई
असल हाजा सामिल फाईल हो ।
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सही हिंदी में ठाकरां साहरंगी
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