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श्री जैन दिवाकर- स्मृति-ग्रन्थ
या प्रेरणा देते तो एक बार तो पत्थर भी पिघल जाता । नया और अनजान व्यक्ति भी आपके उपदेश से प्रभावित होकर संकल्पबद्ध बन जाता।
उज्जैन चातुर्मास की घटना है। सुन्दरबाई नाम की एक राजपूत महिला आपके उपदेशों से प्रभावित होकर जैन श्राविका बन गई। एक दिन उसने आपसे सामायिक का नियम लिया । नियम दिलाने के बाद आपने कहा
१ उदय धर्म-दिवाकर का
"तुमने नियम ले तो लिया है किन्तु धर्म-क्रियाओं के लिए शांत एकांत स्थान की आवश्यकता होती है । स्थानक ही उपयुक्त होता है ।"
महिला विचार में पड़ गई, बोली
"ऐसा स्थान यहाँ फ्रीगंज में तो कोई नहीं है ।"
"है तो नहीं, लेकिन होना अवश्य चाहिए, जहाँ सभी भाई धर्म क्रियाएं कर सकें।" सुन्दरबाई कुलीन महिला थी। गुरुदेवश्री के इन शब्दों से उसकी धर्म-भावना जागृत हुई, बोली
"गुरुदेव ! मेरे पास कई भवन हैं। उनमें से एक में श्रीसंघ (उज्जैन) को समर्पित करती हूँ। साथ ही २५०० रुपये भी, जिससे उसका रख-रखाव भी होता रहे ।”
सुन्दरबाई का भवन स्थानक बन गया । उज्जैन श्रीसंघ ने आभार प्रदर्शित किया तो सुन्दरबाई ने इसे गुरुदेव की कृपा कहकर अपनी विनम्रता का परिचय दिया ।
चातुर्मास के दिनों में आप नमकमंडी और नयापुरा दोनों स्थानों पर विराजे । एक दिन जैन दिवाकरजी महाराज एवं दिगम्बर पं० मुनि श्री वीरसागरजी महाराज दोनों एक स्थान पर मिले और बहुत देर तक प्रसन्नतापूर्वक वार्तालाप हुआ। यह पहला ही सुअवसर था। इस मिलन से दोनों सम्प्रदायों के श्रावकों में एकता की भावना बढ़ी ।
इस प्रकार उज्जैन चातुर्मास के समय काफी धर्म प्रभावना और जैन संघ में ऐक्य स्थापित
हुआ ।
चातुर्मास के बाद आपश्री देवास पधारे हिन्दू-मुस्लिम सभी ने मिलकर व्याख्यान का लाभ लिया। कैदियों ने भी व्याख्यान सुने और अपने पापों के लिए पश्चात्ताप किया एवं शराब, चोरी आदि का त्याग किया।
पचासवाँ चातुर्मास (सं० २००२ ) : इन्दौर इन्दौर में जैन दिवाकरजी के चार व्याख्यान राय बहादुर भण्डारी मिल में हुए नागरिक एवं मिल मजदूरों ने काफी संख्या में उपदेश श्रवण का लाभ लिया। छह-सात हजार के लगभग श्रोता हो जाते थे। मिल मजदूरों ने सैकड़ों की संख्या में मांस-मदिरा सेवन और परस्त्रीगमन के त्याग किये ।
पिछले दो व्याख्यानों के लिए मिल मजदूरों ने भण्डारी साहब के द्वारा जैन दिवाकरजी महाराज से आग्रह करवाया था।
वंशी प्रेस के समीप कई गरीबों की झोंपड़ियाँ जल गई थीं। उनकी सहायता के लिए भंडारी साहब 'ने व्याख्यान में काफी चन्दा करवा दिया ।
भण्डारी हाईस्कूल में जब गुरुदेव पधारे तो दर्शन करने के लिए झाबुआ दरबार आए । वार्तालाप कर दरबार ने प्रसन्नता प्रकट की ।
गुरुदेव के इन्दौर पधारने पर जनता एवं मिलों के मजदूर बहुत बड़ी संख्या में आए बहुत
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