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________________ दिग्गज विद्वान् ● श्री बद्रीप्रसाद सरावगी, पटना न्यायाचार्य डा० दरबारीलालजी कोठिया भारत वर्ष में जैन समाजके एवं जाने-माने दिग्गज विद्वानों मेंसे हैं । मेरा उनसे परिचय बहुत वर्षोंसे है । वे बहुत सरल प्रकृतिके स्नेही सज्जन पुरुष हैं । अपने जीवन में समाज एवं साहित्यकी बहुत बड़ी सेवा उन्होंने की है, जो भुलाने लायक नहीं है । अखिल भारतीय स्तरपर उनका सामाजिक अभिनन्दन करके एक अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट किया जा रहा है, सो उचित ही है। ऐसे महान विद्वानका उनकी इतनी बड़ी सेवाओंके प्रतिफलस्वरूप जो भी सम्मान किया जावे, थोड़ा है। मैं इस शुभ अवसरपर उनके प्रति अपना हार्दिक सम्मान एवं शुभ कामनायें प्रकट करता हूँ और भावना भाता हूँ कि वे दीर्घायु भोक्ता होकर समाज, धर्म एवं साहित्य सेवा निरन्तर करते रहें । एक सामाजिक कार्यकर्त्ता • श्री भगत राम जैन, दिल्ली कोठियाजी से मेरा लगभग २५ वर्षसे संबंध है । वीर सेवा - मन्दिर एवं अन्य सामाजिक कार्योंके कारण उनसे समीपका संबंध रहा। मैंने देखा कि वह न्यायाचार्य, साहित्यकार आदिकी योग्यता रखते हुए भी एक सामाजिक कार्यकर्त्ता भी हैं । उन्हें समाजके किसी भी कार्यके करने में कोई आपत्ति नहीं होती । उनमें मान- कषाय एवं प्रतिष्ठा प्राप्ति आदिमें चाह नहीं है । मैं अपने श्रद्धा सुमन उनके प्रति अर्पित करता हूँ । विलक्षण प्रतिभाशाली • सेठ डालचन्द्र जैन, सागर आचार्य डॉ० कोठियाजी एक विलक्षण प्रतिभाशाली व्यक्तित्वके धनी, सफल संपादक, ओजस्वी वक्ता तथा मूर्धन्य लेखक भी । समाजको उनके ऊपर गर्व है । हम श्री जिनेन्द्रदेवसे जिनवाणीके इन वरद पुत्रके यशस्वी, आरोग्यमय, दीर्घ जीवनकी मंगलकामना करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वह जैन जगतमें अपनी सेवाओंके माध्यम से ज्ञानकी अविरल धारा प्रवाहित करते हुये समाजका नेतृत्व करते रहेंगे । जैन समाज के गौरव • श्री हरिश्चन्द्र जैन, जबलपुर आदरणीय पण्डितजीको भले ही कोई वास्तविक नामसे नहीं जानता हो, किन्तु "कोठिया" उपनामसे तो विद्वान् वा श्रीमान् प्रायः सभी जानते हैं । आपकी निरभिमानता, सरलता और मृदुभाषिता आपमें 'स्वर्ण में सुगन्ध'का कार्य करती है । आप जैसे महान विद्वान् भविष्य में मिलेंगे, ऐसी सम्भावना ही नहीं की जा सकती । आपसे जैन समाजको भारी गौरव है । हम आपके शत- जीवित्वकी बार-बार शुभकामना करते हैं । हार्दिक शुभकामना • पं० गणेशीलाल जैन एम० ए०, साहित्याचार्य, हस्तिनापुर आदरणीय कोठियाजीके, मृदुता, सौम्यता, सरलता, सात्विकता आदि सद्गुणोंने उनकी प्रतिभा जन्य बुद्धिप्रखरता एवं अगाधविद्वत्ता चतुर्गुणित कर दिया है । ऐसे महामनीषी विद्वान्का अभिनन्दन करते हुए समाजने अपनी गुणग्राहकताका ही उचित परिचय दिया है। पंडितजी शतायु होकर अपनी गुणगरिमासे समाजको लाभान्वित करते रहें, यही मेरी हार्दिक शुभकामना है | Jain Education International - - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012020
Book TitleDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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