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मंगल-कामना .श्री सुमेरचंद जैन पाटनी, लखनऊ
डा. कोठियाजी के बारे में मैं क्या लिख, उनकी सेवायें समाजमें व धार्मिक क्षेत्रमें इतनी अधिक हैं जो कभी भुलायी नहीं जा सकती हैं। उनसे मेरा व्यक्तिगत भी काफी संबंध है और मैं उनके प्रति बड़ी स्था रखता हूँ । बस, इतना ही मैं लिखना चाहता हूँ कि हृदयसे उनके आगे श्रद्धावनत हूँ। सेवाएँ बहुमूल्य •श्री रमेशचन्द्र जैन, दिल्ली
यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हई कि न्यायाचार्य डा० दरबारीलाल कोठियाकी साहित्यिक, सामाजिक सेवाओंके प्रति कृतज्ञता ज्ञापन करने हेतु अ० भा० स्तरपर अभिनन्दन-ग्रन्थ भेंट किया जा रहा है । डा० कोठियाने जिस योग्यताके साथ दिगम्बर जैन साहित्य तथा समाजको गौरवशाली करनेमें अपना योगदान दिया है वह अत्यन्त प्रशंसनीय एवं अन करणीय है। आप इस अभिनन्दन-ग्रन्थमें डा० कोठियाकी कर्तव्यशैली तथा उससे प्राप्त परिणामोंपर एक अच्छा निबन्ध लिखा सकें तो वह समाजके शिक्षित युवकोंके लिए प्रेरणादायी सिद्ध हो सकता है । डा० कोठिया जैसे पांडित्य और क्षमता वाले व्यक्ति यदा कदा ही उपलब्ध होते हैं । इनके अनुभव तथा मार्गदर्शनसे समाजको लाभ पहुँचे तथा कोठियाजी दीर्घ काल तक साहित्य एवं समाजकी सेवा करते रहें, इन शभकामनाओंके साथ।
सच्चा मार्ग-दर्शन .श्री नरेशकुमार जैन मादीपरिया, दिल्ली
मेरा न्यायाचार्य डा० दरबारीलालजी कोठियासे लगभग ४० सालसे बहुत निकटका सम्बन्ध है । जैन धर्मका जितना ज्ञान उन्हें है, उतना बहुत कम लोगोंने अध्ययन किया है । इसके अतिरिक्त उनकी समाजकी सेवाकी सीमाका पूर्णतया वर्णन असम्भव है। उनका साधारण जीवन, उच्च विचार, जैन समाजके धर्मकार्य में आस्था रखने वाले व्यक्तियोंके लिए एक मार्गदर्शन है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनका आशीर्वाद हमारे ऊपर लम्बे समय तक बना रहेगा और उनके मार्गदर्शनसे समाजकी संस्था एवं व्यक्ति पूरा लाभ उठाते रहेंगे ।
उनकी लम्बी आयु व स्वस्थ जीवनकी प्रार्थना करता हूँ।
जैन न्यायके अधिकारी विद्वान .श्री सुनहरीलाल जैन, आगरा
डा० दरबारीलाल कोठिया जैन समाजके ख्यातिप्राप्त विद्वान् हैं। जैन न्याय और प्रमाण पर उनकी रचनाओंकी संख्या विशाल है। उन्हें देख कर यह कहा जा सकता है कि वे जैन समाजमें जैन न्याय, प्रमाण और तकशास्त्रके अधिकारी और अद्वितीय विद्वान् हैं। उनकी प्रतिभा बहमुखी है, जो उनके लेखों. निबन्धों और ग्रन्थोंमें प्रस्फुटित हुई है। जैन न्याय उनका मुख्य विषय होते हुए भी उन्होंने जैनाचार्योंके काल-निर्धारण, जैन इतिहास और पुरातत्वके कई अछूते विषयों पर नवीन अनुसंधानपूर्ण दृष्टि प्रदान की है । उनकी भाषा सरल, सुबोध और तर्कयुक्त होती है। वे केवल लेखक ही नहीं, कुशल वक्ता भी है । उन्होंने विभिन्न संस्थाओंके माध्यमसे विविध क्षेत्रोंमें जैन समाज-संस्कृति और साहित्यकी जो सेवा की है, उससे जैन समाजका मस्तक ऊँचा उठा है। वे सरल और चारित्रवान विद्वान् हैं । उनका अभिनन्दन करना माता सरस्वतीका अभिनन्दन करना है । मैं माननीय कोठियाजीके दीर्घ जीवनकी कामना करता है।
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