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जैनदर्शन और प्रमाणशास्त्र परिशीलन:
समीक्षात्मक अध्ययन डॉ० कस्तूरचन्द्र कासलीवाल प्रमाण-परीक्षा
पं० रामनारायण त्रिपाठी जैन तर्कशास्त्रमें अनुमान-विचार डॉ० दामोदर शास्त्री
(एक समीक्षण) प्रमाणप्रमेयकलिकाके संदर्भ में
प्रो० श्री रंजन सूरिदेव न्यायदीपिका : एक समीक्षा
पं० नरेन्द्रकुमार शास्त्री द्रव्यसंग्रह : एक अनुचिन्तन
डॉ० भागचन्द्र ‘भास्कर', डी० लिट्० आप्त-परीक्षा : एक अध्ययन
प्रो० उदयचन्द्र जैन समाधिमरणोत्साहदीपक : एक समीक्षा डॉ० (सौ०) कुसुम पाटोरिया तृतीय खण्ड
धर्म, दर्शन, न्याय
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१. पुण्य और पापका शास्त्रीय दृष्टिकोण २. वर्तनाका अर्थ ३. जीवनमें संयमका महत्त्व ४. चरित्र का महत्त्व ५. करुणाः जीवकी एक शुभ परिणति ६. जैन धर्म और दीक्षा ७. धर्म : एक चिन्तन ८. सम्यक्त्वका अमूढदृष्टि अंग : एक महत्त्वपूर्ण परीक्षण-सिद्धान्त ९. महावीरकी धर्म-देशना १०. वीर-शासन और उसका महत्त्व ११. महावीरका आध्यात्मिक मार्ग १२. महावीरका आचार-धर्म १३. भ० महावीरकी क्षमा और अहिंसाका एक विश्लेषण १४. भ० महावीर और हमारा कर्तव्य दर्शन
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१. अनेकान्तवाद-विमर्श २. स्याद्वाद-विमर्श ३. संजय वेलट्टिपुत्त और स्याद्वाद ४. जैन दर्शनके समन्वयवादी दृष्टिकोणकी ग्राह्यता ५. श्रमण-संस्कृतिकी वैदिक संस्कृतिको देन ६. डॉ० अम्बेडकरसे भेंटवार्तामें अनेकान्त-चर्चा ७. जैन दर्शनमें सल्लेखना : एक अनुचिन्तन ८. जैन दर्शनमें सर्वज्ञता
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