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महोपाध्याय विनयसागर
निदेशक प्राकृत भारती अकादमी
3826, यति श्यामलालजी का उपाश्रय, मोतीसिंह भोमियों का रास्ता, जयपुर - 302 003
दिनांक..
शुभाशंसा
महोदय,
मैं और डॉ. सागरमलजी दीर्घकाल से साहित्य सर्जन की विभिन्न योजनाओं में सहयोगी रहे हैं ।परस्पर आत्मीयता व स्नेह की गहराई के कारण उनकी प्रशंसा में कहे मेरे शब्द संभवतः आग्रहपूर्ण अतिशयोक्ति की श्रेणी में डाल दिए जाएंगे । अतः उनसे बचना ही ठीक होगा ।
__इस स्तर के विद्वान का अभिनन्दन वस्तुतः समाज को ही ऊंचा उठाता है । बार-बार हो तब भी कम है । आयोजक धन्यवाद के पात्र हैं ।
इस अवसर पर इस मूर्धन्य विद्वान, गहन अध्येता तथा विशिष्ट शैली के रचनाकार की दीर्ध व सक्रिय आयुष्य की कामना करता हूँ, जिससे वर्तमान व भविष्य दोनों लाभान्वित हों ।
सधन्यवाद
भवदीय
मि.विनयसागर
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