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डॉ० सागरमल जैन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
समन्वय के मार्ग बतलाते रहते हैं । यर्थाथ में वस्त्र और पात्रवाद के मुद्दे को छोड़कर अन्य भी समन्वय का बहुत बड़ा क्षेत्र है, जिसे अपनाकर उभय परम्परा के विद्वानों को जैन विद्या के अध्ययन और विकास का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। यही समय की माँग है और डॉ० सागरमल इस मांग की पूर्ति हेतु सचेष्ट रहेंगे, ऐसी आशा है । मैं डॉ० सागरमल के यशस्वी जीवन की हार्दिक मंगल कामना करता हूँ।
*जैन मन्दिर के पास, बिजनौर, उत्तर-प्रदेश
विद्यासागर : डॉ० सागरमल जैन
हिम्मतमल नारेलिया जैन*
मन मस्तिष्क अहं आक्रोश से सदैव दूर । विद्वत् रत्न डॉ० सागरमल जी जैन ज्ञान से भरपूर ॥ विनम्रता, सरलता, सौम्यता, मधुरता के भण्डार ।
विश्व विद्वत् धर्म परिषद् में पाई प्रतिष्ठा अपार ।। मध्यप्रदेश के सुरम्य हृदयस्थल मालवा की भूमि के नगर शाजापुर में जन्मे, उसकी माटी की ख्याति चंदन सौरभ सी अपनी विद्वत्ता से विश्व में फैलाने वाले डॉक्टर सागरमल जी जैन, ओसवाल माण्डलिक कुल के प्रतिष्ठित दृढ़ धर्मी, प्रियधर्मी, नित्य स्वाध्यायी, स्थान के संरक्षक धर्मानुरागी श्रावक श्रीमान् राजमल जी साहब शक्करवाले के ज्येष्ठ पुत्र हैं और स्वनाम धन्य गंगा समान निर्मल, शांत स्वभावी माताश्री श्रीमती गंगाबाई के लाल हैं।
विद्यार्थी जीवन में इनके पिताश्री चाँदी सोने के व्यवसाय में निष्णात बनाना चाहते थे। यह मिलावट का व्यवसाय इनकी आत्मा को मान्य नहीं हुआ। विद्याध्ययन कर डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की एवं विभिन्न महाविद्यालयों में सफल प्राध्यापक
रहे।
श्री पार्श्वनाथ जैन शोध संस्थान वाराणसी के निदेशक पद पर कुशलता पूर्वक कार्य पूर्ण कर यश प्राप्त किया। भारतीय जैन समाज के प्रमुख प्रतिनिधि के रूप में चयनित होकर विश्व धर्म विद्वत परिषद्, अमेरिका में जैन धर्म का प्रतिनिधित्व कर ख्याति अर्जित की । आप समाज रत्न हैं । अपनी कुशाग्र बुद्धि से विभिन्न धर्मों के विद्वानों के सम्मुख जैन धर्म एवं जैन दर्शन व भारतीय संस्कृति की महानता, श्रेष्ठता व अनिवार्यता का प्रतिपादन किया। विश्व के विविध धर्मों के विद्वद्गण आपके जैन दर्शन के सिद्धांतों से प्रभावित हुए । ऐसे विद्यासागर डॉक्टर सागरमल जी जैन समाज के भूषण एवं भारत के गौरव
आप माण्डलिक कुल के प्रकाशमान भानु हैं । हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, पाली, प्राकृत, गुजराती आदि भाषाओं के ज्ञाता हैं । महान विद्वान होते हुए भी इनके मन में अहंभाव किचिंत भी नहीं है। आप विनम्रता और सरलता की प्रतिमूर्ति हैं । आपके उत्तम स्वास्थ्य, दीघार्यु एवं समस्त परिवार के यशस्वी आनन्द भविष्य की मंगल कामना है।
इति शुभम् !
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