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जैन विद्या के आयाम खण्ड - ६
सरल व्यक्तित्व के धनी: डॉ० सागर मल जैन
रोमेश सी० बरार*
डा० सागरमल जैन जी श्रमण विद्याध्ययन के जाने माने विश्व विख्यात व्यक्ति हैं । इनको मझे जानने का सौभाग्य कई बार हुआ है। वाराणसी तो एक-दो बार मिला हूंगा, परन्तु फरीदाबाद में जब भी डॉ०साहब विद्यापीठ के बारे में पिता जी के साथ या भाई भूपेन्द्र जी से मिलने, जो कि वह अक्सर आते-जाते रहते थे तो वहाँ कभी न कभी किसी न किसी विषय पर इनके विचार सुने और ज्ञान प्राप्त किया । मैं सदा ही डाक्टर साहब का आभारी रहूँगा । इन्होंने जो सेवा श्रमण संस्कृति की की है, उसके लिए सम्पूर्ण जैन समाज इनका आभारी है। श्री जिनदेव से प्रार्थना है कि वह इन्हें चिरायु करें ।
*मैनेजिंग डाइरेक्टर, न्यूकेम लिमिटेड, फरीदाबाद -६ ।
शुभकामना संदेश
प्रोफेसर प्रेमसुमन जैन* यह जानकर प्रसन्नता है कि जैन दर्शन के मनीषी प्रो. सागरमल जैन जी का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है । प्रो० जैन की जैनविद्या के क्षेत्र में अपूर्व सेवाएँ रही हैं । आपने पार्श्वनाथ विद्यापीठ की प्रगति में अथक श्रम किया है । वहाँ के प्रकाशनों में आपके पाण्डित्य और निर्देशन का स्पष्ट प्रभाव झलकता है । शोध छात्रों के जो वे सदैव हितैषी
और मार्गदर्शक रहे हैं, उनकी सौजन्य छवि और सादगी युक्त जीवन प्रत्येक विद्वान् के लिए आदर्श स्वरूप है। आशा है, प्रो० जैन इसी प्रकार जैनविद्या की सेवा करते रहेंगे । उनके स्वस्थ जीवन और साधनापूर्ण शोधकार्य के लिए हम सब की हार्दिक शुभकामनाएँ हैं।
*आचार्य एवं अधिष्ठाता, सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर ।
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