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MaraMoryamirrow
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Prof. M. S. Ranadive
10 स्पर्शरसगन्धवर्णवन्तः पुद्गला ।
----Ibid. V-23 11 गइपरिणयाण धम्मो पुग्गलजीवाण गमणसहयारी। तोयं जह मच्छाणं अच्छंता णेय सो जेइ ।
-द्रव्यसंग्रह, 17 12 ठाणजुदाण अधम्मो पुग्गलजीवाण ठाणसहयारी । छाया जह पहियाणं गच्छंते णेय सो धरई ।।
-Ibid. 18 13 आकाशस्यावगाहः ।
-तत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् V-18 14 कालु मुणिज्जहि दवु तुहँ बट्टणलक्खणु एउ । रयणहँ रासि विभिण्ण जिम तसु अणूयहँ तह भेउ ।।
-परमात्मप्रकाश, II-21
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