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समाजरत्न, पद्मश्री आनन्दराज सुराना
EX. M. L. A.
'प्राणिमित्र' स्वर्णपदक सम्मानित
महामंत्री श्री अ० भा० श्वे० स्था० जैन कान्फ्रेंस
भाई श्री सुराना जी
आपका कृपा पत्र मिला ।
परम श्रद्धेय आचार्य प्रवर श्री आनन्दऋषि जी महाराज के अमृत महोत्सव प्रसंग पर उन्हें अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट करने का उपक्रम हो रहा है यह जानकर प्रसन्नता हुई । आपके सम्पादकत्व में यह कार्य हो रहा है, अतः कार्य उत्तम होगा यह तो विश्वास है ।
आचार्य प्रवर ने जैन शासन की अकथनीय सेवाएँ की है । धर्म प्रचार के लिए अनेक कष्ट सहनकर सुदीर्घ यात्राएँ की हैं । प्राकृत भाषा एवं जैनधर्म व दर्शन के अध्ययन-अध्यापन तथा प्रचार-प्रसार में उनका योगदान चिरस्मरणीय तो रहेगा ही, सम्पूर्ण जैन समाज के लिए गौरव का विषय भी होगा ।
ऐसे सन्त आत्मा आचार्य प्रवर के प्रति मेरी कोटि-कोटि विनम्र वन्दना !
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-आनन्दराज सुराना
फतहसिंह जैन
सम्पादक तरुण जैन
त्रिपोलिया जोधपुर ( राजस्थान )
प्रिय महोदय,
पूज्य आचार्य श्री जी का अभिनन्दन स्थानकवासी जैन समाज के लिए गौरव का विषय है ।
स्थानकवासी जैन समाज उनकी मूल्यवान सेवाओं के ऋण से अभिनन्दन ग्रन्थ भेंटकर कुछ अंशों में उऋण हो सकेगा ।
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