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( १३ )
राजु भवन
संदेश
राज्यपाल
राज भवन कर्णाटक
बैंगलोर
१७ दिसम्बर, १९७३ प्रिय श्रीचन्दजी सुराना,
आपका पत्र मिला। मुझे यह जानकर बड़ा हर्ष हुआ कि जैन-आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी के ७५ वें वर्ष के पदापर्ण के अवसर पर आप उनका सार्वजनिक अभिनन्दन करने जा रहे हैं और उसके उपलक्ष में एक अभिनन्दन ग्रन्थ भी प्रकाशित करना चाहते हैं। मुझे विश्वास है कि आचार्यजी के धार्मिक और शैक्षणिक क्षेत्र में उनकी अपार सेवा के कारण जनता में एक नई जागृति पैदा होगी और वह उससे लाभान्वित होगी। आपके अभिनन्दन समारोह की सफलता के लिए मैं अपनी शुभ कामनाएं भेजता हूँ।
–मोहनलाल सुखाड़िया
राज्यपाल
RAJ BHAVAN उत्तर प्रदेश
Lucknow
१० जनवरी, १९७५ मुझे यह जानकर हर्ष है कि आचार्य प्रवर श्री आनन्द ऋषि जी महाराज का एक सार्वजनिक अभिनन्दन करने का निश्चय किया गया है, तथा इस अवसर पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ भी भेंट किया जायेगा।
भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्म वाद निश्चय ही ऐसे ही सन्तों तथा ऋषियों की तपस्या पर आधारित एवं विकसित होता रहा है । मुझे यह विश्वास है कि इस आयोजन से हमारे देशवासियों, विशेषकर नवयुवकों व विद्यार्थियों को अपनी गौरवमयी संस्कृति के अध्ययन तथा उसके शाश्वत मूल्यों को ग्रहण करने की प्रेरणा प्राप्त होगी तथा मैं आयोजन की सफलता हेतु अपनी हार्दिक शुभ कामनाएँ भेजता हूँ।
-म० चैन्ना रेड्डी
GOVERNOR OF
RAJ BHAVAN TAMILNADU
MADRAS-600022
3rd November. 1973. Dear
I am glad to know that an Abhinandan --Granth is proposed to be presented to Acharya-Pravara sri Aananda Rishi.ji on the occasion of his 75th birthday. I after my greetings and respects to him and wish him many happy returns of the day.
-K. K. Shah
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