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ज्योतिर्धर आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी : जीवन दर्शन
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उपाधि नष्ट होती है। संतों की महिमा तो अगम है, इस विषय में जितना भी कहा अथवा लिखा जाय कम है।
वर्षावास से लाभान्वित क्षेत्र आगमों में साधु के लिए नवकल्पी विहार का विधान है, जिनका वे समीचीन रूप से पालन करते हैं।
इस विधान के अनुसार प्रत्येक जैन मुनि विशेष कारणों के अतिरिक्त एक क्षेत्र में उनतीस दिन से अधिक नहीं ठहरते। किन्तु वर्षावास में उन्हें चार महीने एक ही स्थान पर ठहरना होता है।
हमारे आचार्यश्री ने भी साधु मर्यादा के अनुसार अब तक जिन-जिन क्षेत्रों में चातुर्मास किये हैं उनकी तालिका निम्न है। संख्या वि० सं० क्षेत्र
संख्या वि० सं० क्षेत्र १९७१ मनमाड़
१९६८ बोरी (पूना) १९७२ लासलगांव
१६६ बाम्बोरी (अहमदनगर) वाघली
चाँदा (अहमदनगर) १६७४ म्हासा
२००१ जालना (निजाम) वेलवंडी
२००२ अमरावती (बरार) १६७६ आलकुटी
बोदवड़ (खानदेश) १९७७ अहमदनगर
बेलापुर रोड पाथर्डी
चिंचोड़ी (अहमदनगर) १६७६ कलम (निजाम)
ब्यावर (राजस्थान) १९८० अहमदनगर
२००७ उदयपुर (मेवाड़) करमाला (शोलापुर)
भीलवाड़ा (राजस्थान) १९८२ चाँदा (अहमदनगर
२००६ नाथद्वारा (मेवाड़) १९८३ भुसावल (खानदेश)
२०१० जोधपुर (मारवाड़) १९८४ हिंगनघाट (वर्धा)
२०११ बड़ी सादड़ी (मेवाड़) १९८५ नागपुर
बदनोर (मेवाड़) १९८६ अमरावती (बरार)
२०१३ प्रतापगढ़ (मालवा) १६८७ चान्दूर बाजार
शुजालपुर (मध्यप्रदेश) १९८८ बोदवड़ (खानदेश)
पाथर्डी (अहमदनगर) १६८९ प्रतापगढ़ (मालवा)
२०१६ बेलापुर-श्रीरामपुर १६३० मन्दसोर (मालवा)
२०१७ बाम्बोरी १९६१ पाथर्डी (अहमदनगर)
२०१८ आश्वी (अहमदनगर) १९६२ पूना-खड़की
२०१६ बम्बई (घाटकोपर) १६६३ घोड़नदी (पूना)
२०२० शाजापुर (मध्यप्रदेश) १९९४ बम्बई (कादावाड़ी) ५१ २०२१ जयपुर (राजस्थान) १९६५ बम्बई (घाटकोपर) ५२ . २०२२ दिल्ली (चांदनी चोक)
पनवेल (कुलाबा) ५३ २०२३ लुधियाना (पंजाब) १९६७ अहमदनगर
५४ २०२४ जम्मू-तवी (कश्मीर)
२००५
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२००८
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