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आचार्य श्री आनन्दऋषिजी महाराज के प्रिय अन्तेवासी कुशल
साहित्यकार, विचारक, वक्ता एवं संस्कृत-प्राकृत के सतत अभ्यासी एवं अभिनन्दन ग्रन्थ के मुख्य प्रेरक
श्री कुन्दन ऋषि जी महाराज
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