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प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चन
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हमारे
गुरुदेव
–मेदपाट की सुरम्य धरा पर जन्म लेकर, ब्रह्मवंश को उजागर करने वाले, संयम के कंटकाकीर्ण वन-पथ पर फौलादी कदम बढ़ाते हुए, हमारा पथप्रदर्शक कौन है ? हमारे गुरुदेव !
-योग-साधना में निष्ठा रखने वाले, ध्यान जिनका सम्बल है, सत्य और अहिंसा के अटल पूजारी बन विचरने वाले कौन हैं ? हमारे गुरुदेव ! ।
-मोह की रेशमी-जाल तोड़कर, भोग भावना का अन्त कर, निरपेक्ष'भाव से जीवन बिताने वाले, जनता के मानस में त्याग के बीज अंकुरित करने वाले कौन हैं ? हमारे गुरुदेव !
-ज्ञानरूपी मधु को ढूंढते फिरने वाले, मानव-मधुप को सर्वदा मधु से संतृप्त करने वाले, श्रमण संस्कृति के पदचिह्नों पर चलने वाले, जन-मन को अपनी ओर चुम्बक की भांति आकर्षित करने वाले कौन हैं ? हमारे गुरुदेव !
-संगठन प्रेमियों को बल देने वाले, शासनसेवियों को सेवा का माधुर्य अर्पण करने वाले, क्षेम-सुधा चाहने वालों को क्षेम-सुधा सदैव वितरण करनेवाले कामधेनु से सौम्य कौन हैं ? हमारे गुरुदेव !
श्री गणेशमुनि शास्त्री -समाज के लिए कठिन परिस्थितियों की कारावास सहनेवाले, अबोध । शिशु की भांति सतत मुस्करानेवाले तथा क्षमाशील सन्तोष के फूल खिलानेवाले ऋतुराज-वसन्त से कौन हैं ? हमारे गुरुदेव !
-साधना के दुर्गम पथ पर निर्भयता से बढ़ने वाले, आंधी और तूफानों से टक्कर लेकर वीरता का परिचय देने वाले वीर साहसी घरा-पुत्र कौन है ? हमारे गुरुदेव !
-जिसके जीवन में अनेक पतझड़ आये फिर भी हुए नहीं कभी भी आकुल- RMATHER संत्रस्त और न कभी हुए वे लालायित ही सुनने को वसन्त नटी के पायल की मादक झंकार, ऐसे अध्यात्मयोगी कौन हैं ? हमारे गुरुदेव !
-कान्ति में सूर्य के समान, शान्ति में चन्द्र के समान, क्रान्ति में राष्ट्रपिता गांधी के समान तेज दिखानेवाले कौन हैं ? हमारे गुरुदेव !
-भक्तों के दुलारे, दोनों के सहारे, श्रमण संघ के प्यारे, आँखों के तारे, वे वरिष्ठ नेता-सन्त कौन हैं ? हमारे गुरुदेव !
-चर्चा चचित है-भारत के विभिन्न भूखण्डों पर वन्दन-अभिनन्दन की, कर रहा है भेंट आज जैन संघ मिलकर जिसको अभिनन्दन-ग्रन्थ श्रद्धा-भक्ति भाव से, वे राजस्थानकेसरी परम श्रद्धेय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी महाराज साहब कौन है ? हमारे गुरुदेव !
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