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प्रथम खण्ड : श्रद्धार्थन
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ज्ञान का देवता
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कन्हैयालाल लोढ़ा, एम० ए० (जयपुर)
उपाध्याय पुष्करमुनि जी स्थानकवासी समाज के भी इस दृष्टि से तैयार किये हैं जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में एक मूर्धन्य सन्त हैं। वे श्रमण संघ के उपाध्याय हैं। एक आदर्श उपस्थित किया है। वस्तुतः आप सच्चे उपाउपाध्याय का अर्थ है ज्ञान का देवता जो स्वयं गहन अध्य- ध्याय हैं। यन करता है और दूसरों को गंभीर अध्ययन करने के लिए आपने ज्ञान, दर्शन, चारित्र का लाभ जन-जन को देने प्रेरणा देता है। उपाध्याय श्री आगम साहित्य के ही नहीं, के लिए विराट पद यात्राएं की हैं। वृद्धावस्था में भी आप दर्शन, साहित्य और संस्कृति के भी गहन अध्येता हैं। वे दक्षिणभारत की यात्रा कर रहे हैं। यह सभी के लिए जिस विषय पर बोलते या लिखते हैं उसके अन्तस्थल तक गौरव की बात है। मैं ऐसे प्रभावकारी सन्त के चरणों में प्रवेश करते हैं। यही कारण है कि आपका साहित्य विद्वत् कोटि-कोटि वन्दन समर्पित करता हूँ। भोग्य भी है और जन-भोग्य भी। आपने अपने शिष्यों को
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जो सदा-
वा भव्य भावना से
मने गुरुदेव से
अद्भुत-प्रभाव मेघराज छाजेड, अध्यक्ष, श्री पुष्कर गुरु गोशाला, सिंधनूर (कर्नाटक) उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी महाराज के दर्शन सर्व- पूर्णकर पुनः सिन्धनूर पधारे । तब तक हमने गोशाला के प्रथम मैंने गंगावती में किये। गुरुदेव श्री गंगावती से लिए विशाल जमीन भी खरीद ली और गोशाला की स्थासिन्धनूर पधारे। मेरी हादिक इच्छा हुई कि गुरुदेव श्री पना विराट् समारोह के साथ की गयी। के आगमन पर ऐसा स्थायी कार्य करना चाहिए जो सदा- गुरुदेव श्री का कर्नाटक में पधारना हमारे लिए वरकाल स्मरण रहे । उसी भव्य भावना से उत्प्रेरित होकर दान रूप में रहा । गुरुदेव श्री की पवित्र प्रेरणा से हमारे मैंने गुरुदेव से निवेदन किया कि यह स्थान गोशाला अन्तर्मानस में धार्मिक चेतना का संचार हुआ। उनकी के लिए अति उपयुक्त है। क्योंकि यहाँ घास-पानी आदि प्रेरणा से स्थान-स्थान पर संघ के उत्कर्ष के कार्य हुए। की प्रचुरता है । अतः गोपालन के लिए कोई दिक्कत नहीं गुरुदेव श्री के अद्भुत प्रभाव से जो कार्य अ-संभव प्रतीत आ सकती। आप जरा सी प्रेरणा करें तो एक श्रेष्ठ कार्य होते हैं वे भी सहज संभव हो जाते हैं । गुरुदेव श्री के हो सकता है। गुरुदेव श्री की वाणी में अद्भुत प्रभाव है। प्रभाव से हम सभी चमत्कृत हैं। गुरुदेव श्री का अभिनन्दन गुरुदेव श्री ने अपने प्रवचन में गो-पालन के महत्त्व पर समारोह मनाया जा रहा है। इस पुण्य-प्रसंग पर श्री बल दिया। ग्रामनिवासियों के अन्तर्मानस में प्रवचन को पुष्कर गुरु, गोशाला समिति की ओर से श्रद्धय सद्गुरुवर्य सुनते ही एक लहर व्याप्त हो गयी कि यहाँ गोशाला स्था- का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ और यह मंगलमय कामना पित होनी चाहिए । सर्वानुमति से यह निर्णय लिया गया करता हूँ कि गुरुदेव श्री का शुभाशीर्वाद हमें सदा प्राप्त कि गुरुदेव श्री के पधारने के उपलक्ष्य में 'श्री पुष्कर गुरु होता रहे जिससे हम समाज-सेवा के क्षेत्र में निरंतर आगे गोशाला' बनायी जाय । उसके लिए स्थानीय संघ की ओर बढ़ते रहें। से अर्थ सहयोग प्राप्त हुआ । गुरुदेव श्री रायचूर वर्षावास
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