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व्यक्तित्व र कृतित्व ]
धर्म, अधर्म, आकाश और कालद्रव्य
प्रत्येकद्रव्य द्रव्यदृष्टि से स्वतंत्र है, पर्यायदृष्टि से परतन्त्र है
शंका- क्या धर्माविध्य भी द्रव्यदृष्टि से स्वतंत्र एवं पर्यायदृष्टि से परतंत्र हैं ? धर्मादि भी पर्यायदृष्टि से परतंत्र ही होने चाहिये, क्योंकि कालद्रव्य के बिना उनके भी परिणमन सम्भव नहीं । आकाश के बिना अवगाहनरूप अवस्था भी धर्मादि के सम्भव नहीं अतः धर्मादि भी पर्यायदृष्टि से परतंत्र होने चाहिये ।
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समाधान-प्रापने ठीक लिखा है । धर्मादि भी द्रव्यदृष्टि से स्वतंत्र हैं और पर्यायदृष्टि से परतंत्र हैं । - पत्र 8-7-80 / ज. ला. जैन, भीण्डर
धर्म आदि द्रव्यों से प्रयुकर्म का सम्बन्ध
शंका- 'राजवार्तिक' अध्याय २ सूत्र ७ की टीका में कहा है कि 'आयुकमं का सम्बन्ध तो धर्म, अधर्म आदि अचेतन पदार्थों के साथ भी है; यह कैसे ?
समाधान - जहाँ पर आयुकर्म के पुद्गलपरमाणु हैं वहाँ पर धर्म, अधमं और आकाशद्रव्य के प्रदेश तथा भी हैं । अतः आयुकर्म का धर्म, अधर्म आदि द्रव्यों से एकक्षेत्रावगाही सम्बन्ध है ।
कालाणु
- जै. ग. 23-5-63 / 1X / प्रो. मनोहरलाल धर्मादिक चारों द्रव्यों का स्वभाव-परिणमन ही होता है।
शंका- धर्मद्रव्य, अधर्मद्रव्य, आकाशद्रव्य और कालद्रव्य का क्या अशुद्ध या विभावरूप परिणमन भी होता है या मात्र स्वाभाविकपरिणमन होता है ?
समाधान- धर्मद्रव्य, अधमंद्रव्य, प्राकाशद्रव्य और कालद्रव्य इनमें विभावस्वभाव व अशुद्धस्वभाव नहीं है, अतः इन चार द्रव्यों का अशुद्धरूप या विभावरूप परिणमन नहीं होता है ।
"चेतनस्वभावः मूर्तस्वभावः विभावस्वभावः उपचरितस्वभावः अशुद्धस्वभावः एतं पंचभिः स्वभावविना धर्मादित्रयाणां ( धर्माधर्माकाशानां ) षोडश स्वभावाः सन्ति । तत्र बहुप्रदेशं विना कालस्य पंचदश स्वभावाः ।" आलापपद्धति । यहाँ पर धर्मद्रव्य, अधमंद्रव्य, आकाशद्रव्य और कालद्रव्य इन चारों द्रव्यों में अशुद्धस्वभाव व विभावस्वभाव का अभाव बतलाया गया है ।
- जै. ग. 23-7-70/VII / टो. ला. मित्तल
जो द्रव्य है वह गुरण या पर्याय नहीं है
शंका- श्री पं० माणिकचन्दजी ने श्लोकवार्तिक पु० ६ अध्याय ५ सूत्र २ की टीका में लिखा है -धर्माfae चारद्रव्य गुण या पर्याय स्वरूप नहीं हैं। यह कैसे संभव है क्योंकि 'गुण पर्ययवद द्रव्यं' ऐसा सूत्र है ?
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समाधान - द्रव्य, गुण और पर्याय में यद्यपि प्रदेश भेद नहीं है तथापि संज्ञा, संख्या, लक्षण आदि की अपेक्षा तो भेद है । कहा भी है
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