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________________ - पुष्कर गुरू यावन धाम (उदयपुर) का प्रकल्पित स्वरूप (मॉडल) - MILLI Minim यी हुन् म पायथन श्री पुरावधान रात्रि के सघन अंधकार में दीपक जब तक जलता है, उसके प्रकाश का अहसास करते हुए भी हम उसकी अस्मिता का मूल्यांकन नहीं कर पाते, किन्तु जब दीपक बुझ जाता है, तो तम की गहन घुटन में दीपक का अभाव मन में टीस बनकर खटकने लगता है। सत्पुरुषों की उपस्थिति में हम उनकी व्यापक प्रभावशीलता एवं उपयोगिता को अनुभव करते हुए भी व्यक्त नहीं कर पाते किन्तु उनके चले जाने के पश्चात् उनका अभाव खटकने लगता है और मन की गहरी शून्यता कभी भर नहीं पाती। ऐसा लगता है, हम कुछ ऐसा खो चुके हैं, जो रह-रहकर स्मृतियों में स्पन्दन बनकर प्रतिपल मन के अथाह श्रद्धा समुद्र को उद्वेलित कर रहा है....... __संसार में महापुरुषों का जन्म होता रहा है, होता रहेगा, किन्तु जो चले गये, उनके अभाव की पूर्ति जैसे युग-युग तक नहीं हो। पाती..... उनके उपकारों से, मानवता युग-युग तक ऋणी रहती है। उनके सत्कर्म-प्रेरित सदुपदेशों की गंगा जन-मन के पाप/ताप/संताप को दूर करती हुई भी उनकी अनुपस्थिति का अहसास सदा-सदा कराती रहती है। स्मृति ग्रन्थ के रूप में उनके गुणोत्कीर्तन की ये शीतल लहरें उनके बताये पुण्य पथ पर बढ़ने को प्रेरित करती रहेगी और शायद इसी रूप में हम अपने बीच उनके अभौतिक स्वरूप की उपस्थिति सदा पाते रहेंगे..... - आचार्य देवेन्द्र मुनि श्री तारक गुरू जैन ग्रन्थालय शास्त्री सर्कल, उदयपुर Jain Education International www.lainelibrary.org
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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