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उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ वे मेवाड़ संभाग के अध्यक्ष पद पर आसीन हैं। आपके पूज्य
श्री विजयकुमार जी जैन : लुधियाना पिताश्री का नाम नानालाल जी एवं मातेश्वरी का नाम सोहनबाई
श्री विजयकुमार जी जैन एक उत्साही धर्मनिष्ठ युवक हैं। आप है। आपकी धर्मपत्नी का नाम सुगनदेवी है जो बहुत ही समझदार, विवेकशील, धर्म-परायणा महिला हैं। आपके दो पुत्र हैं-राकेश और
पंजाब में लुधियाना के निवासी हैं। आपके पूज्य पिताश्री का नाम शोनक और दो पुत्रियाँ हैं-कालिनी और मंजू।
देवराज जी सा. जैन और मातेश्वरी का नाम त्रिलोकसुन्दरी है।
आपकी धर्मपत्नी का नाम नीरू जैन है। आपकी पुत्री का नाम भव्या राकेश जी की धर्मपत्नी का नाम शामला है जो एक प्रतिभा
है। आप छह भाई हैं-रमेशकुमार जी, अशोककुमार जी, संपन्न महिला हैं। आपका व्यवसाय “सोप स्टोन मार्बल", "यूक्रोन
नरेशकुमार जी, कुशलकुमार जी और जिनेन्द्रकुमार जी तथा एक इण्डिया", "मेवाड़ खनिज उद्योग" के नाम से उदयपुर में है। बहिन है सौ. ऊषा जैन। आप फरीदकोट पंजाब के मूल निवासी हैं।
यों राष्ट्रीय और व्यावसायिक कार्य में अत्यन्त व्यस्त रहने के । सन् १९६४ से लुधियाना में व्यवसाय हेतु निवास है। आपका कारण आपका मुनियों से संपर्क बहुत ही कम था पर आचार्यसम्राट् । व्यवसाय “जैन पैकवेल बॉक्स मैन्यूफैक्चर एण्ड प्रिन्टर्स" है। श्री देवन्द्र मुनि जी म. सांसारिक संबंधी होने के नाते परम श्रद्धेय श्री विजयकुमार जी जैन और बहिन नीरू जैन श्रद्धेय उपाध्यायश्री के चरणों में अनेकों बार उपस्थित हुए और आपके उपाध्यायश्री के प्रति अनन्य आस्थावान रहे हैं और आचार्यसम्राट मन में धर्म के सहज संस्कार उबुद्ध हो उठे। यों आपका पूरा श्री देवेन्द्र मुनि जी म. के प्रति भी अपार आस्था है। प्रस्तुत ग्रंथ में परिवार श्रद्धेय गुरुदेवश्री के प्रति एवं आचार्यश्री के प्रति श्रद्धानत | आपका हार्दिक सहयोग प्राप्त हुआ, तदर्थ हार्दिक साधुवाद। है। प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन में आपका अनुदान प्राप्त हुआ, तदर्थ
श्री रणजीतमल जी महेन्द्रकुमार जी लोढ़ा : अजमेर साधुवाद।
राजस्थान की पावन पुण्य धरा में समय-समय पर नर-रत्नों ने श्रीमती रतनबाई संग्रामसिंह जी मेहता : उदयपुर जन्म लेकर धरती को अपनी आन, बान और शान से चमत्कृत प्राकृतिक सौन्दर्य सुषमा की दृष्टि से उदयपुर का अपना
किया है। कितने ही ऐसे नर-रल हुए हैं जिनकी जीवन की प्रवाह गौरवपूर्ण स्थान है। वह झीलों की नगरी है उस नगर के चारों ओर
हजारों हजार वर्ष तक चमकती रही है। नागौर एक ऐतिहासिक झीलें हैं। इसलिए वह शहर झीलों की नगरी के नाम से मशहूर है
भूमि रही है जिसका सांस्कृतिक इतिहास उज्ज्वल रहा है। नागौर के 12P003 और उसे राजस्थान का कश्मीर भी कहते हैं। उसी उदयपुर में
इतिहास में लोढ़ा परिवार का योगदान अपूर्व रहा है। श्रीमती धर्मानुरागिनी रतनबाई का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम
श्री चंचलमल जी लोढ़ा नागौर के एक जाने-माने मेधावी व्यक्ति श्री कन्हैयालाल जी सा. लोढ़ा और मातेश्वरी का नाम राजबाई
थे। आपकी धर्मपत्नी का नाम उमरावकुंवर था। श्री रणजीतमल जी लोढ़ा है। आपका पाणिग्रहण मेहता परिवार के अग्रगण्य संग्रामसिंह
और श्री महेन्द्रकुमार जी आपके सुपुत्र हैं। दोनों भाइयों में अपार जी के साथ संपन्न हुआ। संग्रामसिंह जी के पूज्य पिताश्री का नाम
स्नेह और सद्भावना है। आपका व्यवसाय अजमेर में “ओवरसीज माधवसिंह जी और मातेश्वरी का नाम झेमाबाई था। संग्रामसिंह जी
ट्रेड एजेन्सीज" के नाम से है। व्यवसाय में व्यस्त रहने के कारण के मनोहरसिंह जी, दौलतसिंह जी, पद्मसिंह जी और नवलसिंह जी
धार्मिक साधना के प्रति आप दोनों भाइयों में बहुत कम रुचि थी पर भाई थे और मोहनबाई और बंसताबाई दो बहिनें थीं।
सन् १९८३ में उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. का वर्षावास
मदनगंज-किशनगढ़ में हुआ। उपाध्यायश्री का परिचय होने पर संग्रामसिंह जी बहुत ही भद्र प्रकृति के सज्जन पुरुष थे। आपके
आपकी धार्मिक भावना दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ती चली गई। चार पुत्र हैं-अनिलकुमार, सुशीलकुमार, किशनकुमार और
श्री रणजीतमल जी की धर्मपत्नी का नाम धर्ममूर्ति पवनदेवी है। सुनीलकुमार तथा चार पुत्रियाँ हैं-मंजूदेवी और लालीदेवी आदि।
आपके दो सुपुत्र हैं-रवीन्द्रकुमार जी और महेशकुमार जी। अनिलकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम केसरदेवी है और पुत्र
श्री रवीन्द्रकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम बबीतादेवी है और का नाम हिमांशु तथा पुत्रियों के नाम रानू और श्यानू हैं।
उनके एक सुपुत्री है जिसका नाम पूर्णिमा है। सुशीलकमार जी की धर्मपत्नी का नाम ज्योतिदेवी है तथा पुत्र
श्री महेन्द्रकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम सुशीलादेवी है। का नाम सैंकी और पुत्री का नाम पिंकी है।
आपके सुपुत्र का नाम ललितकुमार तथा सुपुत्री का नाम प्रितू है। किशनकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम कुसुम है और उनके दो
इस प्रकार आपका सम्पूर्ण परिवार परम श्रद्धेय उपाध्यायश्री के wasal पुत्रियाँ हैं-खुशबू और मीनू।।
प्रति सर्वात्मना समर्पित रहा है। प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन में आपने सुशीलकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम मंजूदेवी है। उनके पुत्र । आर्थिक अनुदान प्रदान कर अपनी भक्ति का परिचय दिया है। का नाम चीकू और पुत्री का नाम प्रिया है। | आपका "रतन ऑटोमोबाइल" का व्यवसाय है। प्रस्तुत ग्रंथ
श्री मीठालाल जी सिंघवी : सरत | हेतु आपका आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ, तदर्थ हार्दिक साधुवाद। जीवन पर चिन्तन करते हुए एक चिन्तक ने लिखा है कि
मानव अगरबत्ती की तरह खुशबू फैलाता हुआ जीये और मोमबत्ती
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