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उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ । कि यदि देश-काल की अनुकूलता रही तो श्रमण संघ के प्रथम इस प्रकार आचार्य सम्राट के आचार्य पदारोहण का यह द्वितीय पट्टधर महामहिम आचार्य सम्राट श्री आत्मारामजी म. की दीक्षा । वर्ष वास्तव में अद्वितीय धर्म प्रभावना के रूप में स्वर्णाक्षरों में शताब्दी वर्ष के अवसर पर पंजाब की भूमि को स्पर्श ने के लिए लिखा जायेगा। भावना रखता हूँ।
समन्वय का संदेश भीलवाड़ा से विहार करके आचार्य सम्राट ब्यावर, अजमेर,
इसी वर्ष सम्मेद शिखर जी का जटिल विवाद समाज के लिए जयपुर, खंडेला-नारनोल, चरखी, दादरी, पानीपत आदि क्षेत्रों की
एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। इससे सम्पूर्ण जैन समाज आन्दोलित और लम्बी पदयात्रा करके २० अप्रेल को पंजाब के प्रवेश द्वार अम्बाला
पीड़ित हुआ है। आचार्य सम्राट के पास भी दिगम्बर एवं श्वेताम्बर शहर पधारे। मार्ग में प्रायः सभी क्षेत्रों के श्रद्धालु जनता में अपार
समाज के वरिष्ठ नेता गण समय-समय पर उपस्थित हो रहे हैं। उत्साह से श्रद्धा भरा अद्भुत वातावरण देखने योग्य था। गाँव-गाँव
आचार्यश्री का दूरदर्शिता पूर्ण एक ही सन्देश है, एक ही उपदेश में एकता, संगठन तथा व्यसन मुक्ति का सन्देश देते हुए आचार्यश्री
है-एकता और सद्भाव के लिए कुछ न कुछ त्याग सभी को करना ने हजारों लोगों को सात्विक जीवन जीने का संकल्प कराया।
पड़ेगा। अपने पूर्वाग्रहों को छोड़कर दिगम्बर समाज यदि श्वेताम्बर अम्बाला शहर में आचार्यश्री का ऐतिहासिक स्वागत कार्यक्रम समाज के साथ सद्भाव व संगठन के हाथ बढ़ायेगा तो श्वेताम्बर हुआ। दीक्षा महोत्सव भी सम्पन्न हुआ। २२ अप्रेल को भगवान समाज भी स्नेह, सहयोगपूर्ण भावना के साथ उसका स्वागत करेगा महावीर जयन्ती का विशाल समारोह मनाया गया। अम्बाला शहर और जैन तीर्थ क्षेत्रों की गरिमा अक्षुण्ण बनी रहेगी। आज से आचार्यप्रवर चंडीगढ़ तथा उसके पश्चात् हिमालय पर्वत मालाओं } हठाग्रह नहीं सत्याग्रह की आवश्यकता है। सत्याग्रह ही अनेकान्त से जुड़ी किन्नरों की क्रीड़ा भूमि हिमाचल प्रदेश की यात्रा पर आगे का मार्ग है। बढ़। इस यात्रा से पजाब एव हारयाणा का जनता का रगा म आचार्यश्री के भ्रमण-प्रवास की विशेषता यह रहती है कि जिस दौड़ता अपूर्व धर्म-उत्साह देखते ही बनता था। दान एवं सेवा की
क्षेत्र से आपश्री आगे बढ़ते हैं, वहाँ की जनता सन्मार्ग के लिए होड़ जैसी इस क्षेत्र में देखने को मिली वह अपने आप में एक }
प्रेरित तो होती ही है-सान्निध्य समापन की घड़ियाँ उनके लिए दुखद मिसाल थी। हिमालय की राजधानी परमाणु, धर्मपुर, सोनत्य,
भी हो जाती है। उनकी मनोकामना रहती है-काश ! यह मनोरम शिमला, नालागढ़ आदि अनेक क्षेत्रों में श्रद्धालु श्रावकों ने अपना
वातावरण कुछ समय और बना रहता। अन्य क्षेत्रों की जनता लाखों रुपयों का भवन धर्म स्थानकों के लिए संतों को समर्पित कर
आचार्यश्री के प्रेरक सान्निध्य की व्यग्रतापूर्वक प्रतीक्षा करती रहती सचमुच में ही एक ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत कर दिखाया।
है। अनुरोध पर अनुरोध करती रहती है। कत्लखानों के विरोध में बुलन्द स्वर
आशाएँ : अपेक्षाएँ : कामनाएँ श्रद्धेय आचार्य सम्राट श्री आत्माराम जी म. की पवित्र जन्मभूमि
श्रमणसंघ के प्राण, जन-जन की श्रद्धा-आस्था के केन्द्र डेरावासी में बन रहे आधुनिक बूचड़ खाने के विरोध में अहिंसा प्रेमी
ज्ञानालोक के महादिवाकर, सुधा-सिंधु, संयम की प्रतिमूर्ति, अटल हजारों लाखों व्यक्तियों ने सम्मिलित विरोध का स्वर बुलन्द किया है।
कर्मयोगी आचार्यश्री देवेन्द्र मुनिजी के कुशल नेतृत्व में संघ सुदृढ़ इसी सन्दर्भ में आचार्य प्रवर ने स्थान-स्थान पर अपने उद्बोधक
हो, उनकी जन कल्याण की प्रवृत्तियाँ विकसित होती रहें। श्रमण भाषणों तथा जन नेताओं, राजनेताओं के साथ वार्तालाप में
संघ की कामना है कि आचार्यश्री की अपनी अद्भुत क्षमता से जिन कत्लखानों के विरोध तथा अहिंसा एवं शाकाहार का एक तेज जन
शासन की वृद्धि हो, वह सशक्त और प्रभावशाली बना रहे। आपश्री आन्दोलन जागृत किया और प्रबल जागृति की लहर पैदा की है।
के सद्प्रयासों से व्यक्ति के कुसंस्कार और समाज की कुरीतियों का पंजाब यात्रा के प्रथम पड़ाव के रूप में आचार्य सम्राट की क्षय होगा और सर्वत्र एक स्वस्थ एवं स्वच्छ वातावरण व्याप्त पंजाब की उद्योग नगरी लुधियाना में वर्षावास हेतु प्रथम पदार्पण, होगा-जन-जन के मन में यह दृढ़ विश्वास है। धर्म का विकास होस्वागत समारोह विशाल दीक्षा समारोह तथा आत्म-दीक्षा शताब्दी । नव पीढ़ियों में धर्म की चेतना प्रबल हो, समन्वयशीलता का वर्ष का शुभारंभ आदि कार्यक्रम अपने आप में बहुत ही अद्भुत, वातावरण निर्मित हो, धर्माचार का साम्राज्य स्थापित हो समाज आदर्श तथा ऐतिहासिक कहे जा सकते है जिनकी चर्चा अनेक और संघ के अभ्युदय के लिए आपश्री वरदान स्वरूप हो, पूज्य पत्र-पत्रिकाओं में हो रही है और समाज में एक दिशा दर्शन ने रूप आचार्य श्री युग-युग तक धर्म-पथ पर गतिशील रहने की प्रेरणा में स्थापित किया जा रहा है।
और शक्ति प्रदान करते रहें, यही कामना है।
ने अपना
वाताव
के प्रेरक सा
१. हर्ष की बात है कि पंजाब के मुख्य मंत्री सरदार बेअंतसिंह जी ने आचार्यश्री के समक्ष जन सभा में यह घोषणा की है कि पंजाब की अहिंसा प्रेमी जन
भावनाओं का आदर करते हुए हम इस पवित्र भूमि पर यह बूचडखाना नहीं खोलने देंगे। २३ सितम्बर १९९४ को होने वाला उद्घाटन भी स्थगित कर दिया गया है। आचार्यश्री की पंजाब यात्रा की यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जायेगी कि उनकी प्रबल प्रेरणा से लाखों जीवों को अभयदान प्राप्त हुआ।
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