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। इतिहास की अमर बेल
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कि अब मैं बादशाह को समझाकर कन्या के प्राण बचा सकूँगा। एक चापलूसी (flattery), लालच (greed), पाखण्ड (hypocrisy), निरपराध कन्या के प्राणों की सुरक्षा हो सकेगी। उन्होंने आचार्यप्रवर असत्य (lying), कृपणता (miserliness), अभिमान (pride), को नमस्कार किया और मांगलिक श्रवण कर वे बादशाह कलङ्क (slandering), आत्महत्या (suicide), अधिक ब्याज लेना बहादुरशाह के पास पहुंचे। उन्होंने बादशाह से निवेदन किया-हजूर, } (usury), हिंसा (violence), उच्छृखलता (wickedness), युद्ध कन्या कभी-कभी बिना पुरुष संयोग के भी गर्भ धारण कर लेती है । (warfare), हानिप्रद कर्म (wrong doings), आदि को हमेशा ही
और आपकी सुपुत्री ने जो गर्भ धारण कर लिया है वह इसी प्रकार त्याज्य समझा है और ठीक इसके विपरीत भाईचारा (brotherका है, ऐसा मुझे एक अध्यात्मयोगी संत ने अपने आत्मज्ञान से { hood), दान (charity), स्वच्छता (cleanliness), ब्रह्मचर्य बताया है और उसकी परीक्षा यही है-जब बच्चा होगा तब उसके। (chastity), क्षमा (forgiveness), मैत्री (friendship), बाल, नाखून, हड्डी आदि पैतृक अंग नहीं होंगे और पानी के कृतज्ञता (gratitude), विनम्रता (hunility), न्याय (jistice), बुलबुले की तरह कुछ ही क्षणों में वह नष्ट हो जाएगा। अतः उस { दया (kindness), श्रम (labour), उदारता (liberality), प्रेम अध्यात्मयोगी की बात को स्वीकार कर उस समय तक जब तक (love), कृपा (mercy), संयम (moderation), सुशीलता कि बच्चा न हो जाय तब तक उसे न मारा जाय। दीवान खींवसीजी (modesty), पड़ोसीपन का भाव (neighbourliness), हृदय की अद्भुत बात को सुनकर बादशाह आश्चर्यचकित हो गया-अरे! की शुद्धता (purity of heart), सदाचार (righteousness), यह नयी बात तो आज मैने सर्वप्रथम सुनी है। उस फकीर के कथन धैर्य (steadfasteness), सत्य (truth), विश्वास (trust) को | की सत्यता जानने के लिए हम तब तक उस बाला को नहीं ग्रहण करने का उपदेश दिया गया है।२१ मरवाएँगे जब तक उसका बच्चा पैदा नहीं हो जाता है।
इससे स्पष्ट है कि इस्लाम परम्परा में भी उन तत्त्वों की बादशाह ने कन्या के चारों तरफ कड़ा पहरा लगवा दिया ताकि अवहेलना की गयी है जिनसे हिंसा की उत्पत्ति और वृद्धि होती है। वह कहीं भागकर न चली जाये। कुछ समय के पश्चात् बालिका के कुरान के प्रारम्भ में ही खुदा को उदार, दयावान कहकर सम्बोधित प्रसव हुआ। बादशाह और दीवान खींवसी उसे देखने के लिए पहुंचे। किया है।२२ यहाँ तक कि पशुओं को कम भोजन देना, उन पर जैसा आचार्यप्रवर अमरसिंहजी महाराज ने कहा था वैसा ही पानी चढ़ना, सामान लादना आदि का भी इस्लामधर्म में निधेष किया के बुलबुले की तरह पिण्ड को देखकर बादशाह विस्मय विमुग्ध हो गया है। वह वृक्षों को काटने के लिए भी नहीं कहता।२३ । गया। बादशाह और दीवान के देखते-देखते ही वह बुलाबुला नष्ट हो इस्लामधर्म में कहा है-खुदा सारे जगत् (खल्क) का पिता है, गया। बादशाह ने दीवान की पीठ थपथपाते हुए कहा-अरे, बता जगत् में जितने भी प्राणी हैं, वे खुदा के पुत्र (बन्दे) हैं। कुरान ऐसा कौन योगी है. औलिया है जो इस प्रकार की बात बताता है?
शरीफ सुरा उलमायाद सियारा मंजिल तीन आयत तीन में लिखा लगता है, वह खुदा का सच्चा बन्दा है।
है-मक्का शरीफ की हद में कोई भी जानवर न मारे। यदि भूल से
मार ले तो अपने घर के जो पालतू जानवर हैं उसे वहाँ पर छोड़ बादशाह बहादुरशाह को उपदेश
दें। मक्का शरीफ की यात्रा को जाये तब से लेकर पुनः लौटने तक दीवानजी ने नम्रता के साथ निवेदन किया कि देहली में रोजा रखा जाय और गोश्त का इस्तेमाल न किया जाए। आगे वर्षावास हेतु विराजे हुए ज्योतिर्धर जैनाचार्य पूज्यश्री अमरसिंहजी चलकर सुरे अनायम आयत १४२ में लिखा है कि सब्जी और अन्न महाराज हैं जो बहुत ही प्रभावशाली हैं और महान् योगी हैं। उन्होंने को ही खाया जाये किन्तु गोश्त को नहींही मुझे यह बात बताई थी। आप चाहें तो उनके पास चल सकते हैं।
"बमिल अनआमें हमूल तम्बू बफसद कुलुमिमा रजत कुमुल्ला हो।" बादशाह अपने सामन्तों के साथ आचायश्री के दर्शनार्थ पहुँचा। आचार्यप्रवर ने अहिंसा का महत्त्वपूर्ण विश्लेषण करते हुए कहा- हजरत मुहम्मद साहब के उत्तराधिकारी हजरत अली साहब जैनधर्म में अहिंसा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वहाँ पर किसी भी प्राणी
ने२४ कहा है-हे मानव! तू पुशु-पक्षियों की कब्र अपने पेट में मत की हिंसा करना निषेध किया गया है। वैदिक और बौद्धधर्म में भी बना अर्थात् पशु-पक्षियों को मारकर उनका भोजन मत कर। इसी अहिंसा का महत्त्व प्रतिपादित किया गया है। इस्लाम धर्म में भी
तरह दीन-ए-इलाही के प्रवर्तक बादशाह अकबर ने भी कहा है-मैं अहिंसा का गहरा महत्त्व है। इस धर्म में ईश्वर में विश्वास रखने, अपने पेट को दूसरे जीवों का कब्रिस्तान बनाना नहीं चाहता। धर्म पन्थ प्रवर्तकों के विचारों पर आस्था रखने, गरीब और । | जिसने किसी की जान बचायी तो मानों उसने सारे इनसानों को कमजोरों पर दयाभाव दिखाने की शिक्षा प्रदान की गई है। इस धर्म
जान बख्शी।२५ में गाली (abuse), क्रोध (anger), लोभ (avarice), चुगली । विश्व के समस्त धर्मों ने अहिंसा को स्वीकार किया है। वह खाना (back biting), खून-खराबी (blood-shedding), रिश्वत धर्म का मूल आधार है। संसार में चारों ओर दुःख की जो ज्वालाएँ लना (bribery), झूठा आभयाग (calumny), बइमाना उठ रही हैं उसका मूल कारण हिंसक भावना है। अहिंसा भगवती (dishonesty), मदिरापान (drinking), ईर्ष्या (envy), . है। भगवान महावीर ने कहा है जिसे तू मारना चाहता है वह तू ही
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