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पावन जन्म भूमि जिस धरती पर जन्म लिया, खेले, कूदे, रसपान किया। वह धरा धन्य हो गई आज अब तीर्थभूमि का स्थान लिया। जिस भूमि और जिस भवन में गुरुदेवश्री ने जन्म लिया, वह जन्मस्थान का मकान (सिमटार)
ननिहाल (नांदेशमा) का भवन जो अब अपने में एक पुण्य स्मारक बन चुका है। (बाहरी रूप)
गुरुदेवश्री के ननिहाल (नांदेशमा) का वह जीर्ण भवन (भीतर से) जहाँ की धरती पर बचपन के सुनहरे सुखद क्षण स्वर्ण कण बनकर बिखरे
हुए हैं।
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