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महाराज, उपाध्याय किस्तूरचन्द जी म. मालवकेसरी सौभाग्यमल जी म. शतावधानी श्री रत्नचन्द्र जी म., आचार्य श्री गुलाबचन्द्र जी महाराज, आचार्य रूपचन्द्र जी महाराज, कविवर नानचन्द्रजी म., मुनि सन्तबालजी, आचार्य सम्राट श्री आनन्द ऋषि जी म., उपाध्याय श्री अमरमुनि जी म., उपाध्याय फूलचन्द जी म., प्रवर्त्तक श्री पन्नालाल जी म., कविवर्य श्री चौथमल जी म., मरुधरकेसरी मिश्रीमलजी म., युवाचार्य मधुकर मुनि जी म., आचार्य श्री घासीलाल जी म. आचार्य पुरुषोत्तम लाल जी म., आदि स्थानकवासी समुदाय के मूर्धन्य मनीषीगण तथा पुरातत्त्ववेत्ता पद्मश्री मुनिजनविजय जी गुरुदेव श्री से चन्देरिया, चित्तौड़ तथा अहमदाबाद में अनेकों बार मिले और इतिहास तत्त्व महोदधि आचार्य विजयेन्द्र सूरि जी, इतिहास वेत्ता मुनि श्री कल्याणविजय जी, डॉ. मुनि कान्तिसागर जी, आचार्य रामचन्द्रसूरि जी, आचार्य विजयधर्म सूरिजी, आचार्य समुद्रसूरि जी, आचार्य मुनि श्री यशोविजय जी, गणिवर्य पं. मुनिश्री अभयसागर जी, डॉ. मुनि नगराज जी. डी. लिट्. पं. मुनि श्री नथमल जी, चारित्र चक्र चूड़ामणि दिगम्बर आचार्य शान्तिसागर जी, आचार्यप्रवर देशभूषण जी, आचार्य विद्यानन्द जी, महन्त दर्शनराम जी, डॉ. एस. एस. बारलिंगे, डॉ. टी. जी. कलघटगी, डॉ. प्रेमसुमन जैन, डॉ. कमलचन्द्र सोगानी, डॉ. भागचन्द भास्कर, डॉ. संगम लाल पाण्डेय, इतिहास रत्न अगरचन्द्र जी नाहटा, जस्टिस टी. के. तुकोल, जस्टिस इन्द्रनाथ मोदी, जस्टिस सोमनाथ मोदी, जस्टिस कल्याण मल लोढ़ा, जस्टिस मानसिंह परिहार, जस्टिस कान्ता भटनागर, जस्टिस दिनकर लाल मेहता, जस्टिस मिलापचन्द्र जैन, जस्टिस अग्रवाल, श्री ऋषभदास रांका, डॉ. जगदीशचन्द्र जैन, डॉ. ए. डी. बतरा, डॉ. आनन्द प्रकाश दीक्षित, डॉ. नथमल टाँटिया, आचार्य निरंजननाथ, दिनेशनन्दिनी डाल्मिया, डॉ. डी. एस. कोठारी, सेठ अचलसिंह जी, सोलिसिटर जनरल चिमनभाई चक्कूभाई शाह, पद्मश्री सेठ | मोहनलाल जी चोरड़िया, सेठ विनयचन्द्र दुर्लभ जी, खेलशंकर दुर्लभ जी, सेठ हीराचन्द, बालचन्द्र आदि व्यक्तियों से गुरुदेव श्री की विभिन्न विषयों पर चर्चाएँ हुईं।
सन् १९६४ में जब उपाध्याय पूज्य गुरुदेवश्री पुष्कर मुनिजी म. सा. दिल्ली पधारे तब समाजरत्न डॉ. दौलतसिंह कोठारी, सांसद श्री भिक्खुराम जैन, दिल्ली महानगर के पार्षद मेहताबचंद जैन,
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उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ
नगर निगम पार्षद श्री महेन्द्र कुमार जैन, दिल्ली जैन समाज के मंत्री श्री प्रेमचंद जैन, कांफ्रेंस के मंत्री श्री अजितराज जी सुराणा, श्री एच. के. एल. भगत, श्री पुरुषोत्तम गोयल, अध्यक्ष दिल्ली महानगर परिषद, गोकुल भाई भट्ट, मंत्री श्री रूपनारायण जी, राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह जी, भारत के सुप्रसिद्ध विधिवेत्ता डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी, श्री कुलानन्द भारती, कार्यकारी पार्षद दिल्ली प्रशासन, कवि हाथरसी, सांसद मूलचंद डागा, श्री नवल किशोर शर्मा-पेट्रोलियम मंत्री भारत सरकार, जवाहरलाल मुणोत, गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री, अमरसिंह जी चौधरी, दिगम्बर जैन महासभा के मंत्री श्री ताराचंद जी "प्रेमी", डॉ. नरेन्द्र भानावत ।
सन् १९८७ पूना में डॉ. शंकरदयाल जी शर्मा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे तब जगतगुरू शंकराचार्य और जाने माने संगीतकार रवीन्द्र जैन।
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सन् १९८८ में आपका वर्षावास इन्दौर में था तब मध्यप्रदेश शासन के उद्योगमंत्री चन्द्रप्रभाष शेखर तथा विधायक ललित जैन ने आपके दर्शन किए तथा डॉ. नेमीचंद जैन एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह जी ।
सन् १९८९ में आपका वर्षावास जसवंतगढ़ था : उदयपुर महाराणा महेन्द्र सिंह जी तथा गुलाबसिंह सक्तावत आदि ने आपश्री के दर्शन किए और सादड़ी वर्षावास १९९० में न्यायमूर्ति जसराज जी चौपड़ा, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री हरिशंकर भाभड़ा और १९९२ सिवाना वर्षावास में महाराणा गजसिंह और न्यायविधि मंत्री शांतिलाल चपलोत सन् १९९३ चादर समारोह में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुन्दरलाल पटवा तथा पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह, पूर्व सांसद रामचन्द्र विकल ये सभी गुरुदेवश्री के स्नेह-सौजन्यपूर्ण सद्व्यवहार से प्रभावित हुए।
वस्तुतः स्नेह एक ऐसा ही सुनहरा सूत्र है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति आनन्दपूर्वक बाँधा जा सकता है। ये सभी गुरुदेव श्री के स्नेह-सौजन्यपूर्ण सद्व्यवहार से प्रभावित हुए।
सरल स्नेह के कोमल धागे में कठोर से कठोर मोती भी पिराए जा सकते हैं।
श्रेष्ठ, शिखर पुरुषों की तो फिर बात ही क्या है ?
टूटे जहाज के डूबे यात्री को जैसे लकड़ी का तख्ता सहारा है वैसे ही संसार सागर से पार होने के लिये सम्यक्त्व रूपी तख्ता ही सहारा है। संसार रूपी महावन को पार करने के लिये धर्म सार्थ की तरह है। दरिद्री के लिये चिन्तामणि रत्न है। सघन वन में लगी आग में सरोवर है।
- उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि
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