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मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ
हिमालय से भी महान्
0 श्री लाभचन्दजी महाराज
- परम श्रद्धेय पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री कस्तूरचंदजी महाराज के प्रति मैं क्या लिखू। जो भी लिखना है, मानो सूर्य को दीपक बताने जैसा है।
आपके जीवन में सरलता, सौम्यता, वात्सल्यता, करुणा एवं दीन-दुखियों के प्रति सहानुभूति आदि अनेकों दैविक गुण कूट-कूट कर भरे हुए हैं । जिनका वर्णन यह लेखनी पूर्ण रूप से चित्रित नहीं कर पाती है।
आप ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान हैं। क्षमा गुण आपके जीवन के कण-कण में ओत-प्रोत है । आप जैसे महामनस्वियों के विषय में यदा-कदा जब मैं सोचता हूँ तो मुझे लगता है कि आपका जीवन तो हिमालय से भी महान् है, श्रेष्ठ है, विविध गुण-गरिमामहिमा से युक्त है । सभी पर्वतों में हिमालय का महत्व अत्यधिक इसीलिए माना है कि वह विशालता का एवं समोज्ज्वलता का प्रतीक रहा है। इसी प्रकार आज श्रमण वर्ग में पूज्य गुरुदेव सभी दृष्टियों से महान् हैं, पूजनीय हैं एवं अर्चनीय हैं । आप वयःस्थविर, दीक्षास्थविर एवं आगमस्थविर हैं। आपको पितामह के रूप में पुकारा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
__ऐसे महान् सन्त शासन सम्राट् आपश्री के चरण-कमलों में श्रद्धा भक्ति पूर्वक वन्दनांजलियां समर्पण करता हुआ यह शुभ कामना करता हूँ कि पूज्य गुरुदेव से सदासर्वदा मार्ग-दर्शन मिलता रहे। फलस्वरूप समाज प्रति-पल प्रगति की ओर बढ़ता रहे।
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