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प्रेरक प्रसंग
इस संख्या को राग और द्वेष से द्विगुणित करने से ११२६० भेद हुए । तत्पश्चात् त्रियोग ( मन, वचन, काया) से त्रिगुनित करने से ३३७८० भेद हुए, तीन करण ( कृतकारित अनुमत) के साथ त्रिगुनित करने से १०९३४० भेद हुए । तीन काल (भूत-भविष्यवर्तमान) के साथ त्रिगुनित करने से ३०४०२० भेद हुए, अब अर्हत, सिद्ध, साधु-देव-गुरु और आत्मा इस प्रकार छः गुणित करने से १८२४१२० भेद होते हैं ।
यथोचित सरल-सुबोध- समाधान सुनकर वह प्रश्नकर्ता काफी प्रभावित हुआ । करबद्ध होकर बोला - "गुरुदेव ! कष्ट के लिए क्षमा चाहता हूँ ।" मैं बहुत स्थानों पर गया, पर मुझे सन्तोषप्रद समाधान नहीं मिला । आपने बहुत ही सीधी-सादी सरल भाषा में एवं आँकड़े के माध्यम से समाधान कर दिया । मैं बहुत जल्दी समझ गया । मांगलिक श्रवण कर अपने घर की ओर चला गया ।
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