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मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ
(२) शृंगार मंडन - यह शृंगार रस का ग्रन्थ है, इसमें १०८ श्लोक हैं । (३) सारस्वत मंडन - यह सारस्वत व्याकरण पर लिखा गया ग्रन्थ है । इसमें ३५०० श्लोक हैं ।
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(४) कादम्बरी मंडन - यह कादम्बरी का संक्षिप्तिकरण है, जो सुलतान को सुनाया गया था । इस ग्रंथ की रचना सं० १५०४ में हुई थी ।
(५) चम्पू मंडन - यह ग्रन्थ पांडव और द्रौपदी के कथानक पर आधारित जैन संस्करण है । रचना तिथि सं० १५०४ है ।
(६) चन्द्रविजय प्रबन्ध - ग्रंथ की रचना तिथि सं० १५०४ है । इसमें चन्द्रमा की कलाएँ, सूर्य के साथ युद्ध और चन्द्रमा की विजय का वर्णन है ।
(७) अलंकार मंडन — यह साहित्य शास्त्र का पांच परिच्छेद में लिखित ग्रन्थ है । काव्य के लक्षण, भेद और रीति, काव्य के दोष और गुण, रस और अलंकार आदि का इसमें वर्णन है । इसकी भी रचना तिथि सं० १५०४ है ।
(८) उपसर्ग मंडन - यह व्याकरण रचना पर लिखित ग्रंथ है ।
(e) संगीत मंडन - यह संगीत से सम्बन्धित ग्रन्थ है ।
(१०) कविकल्प मस्कंध - इस ग्रन्थ का उल्लेख मंडन के नाम से लिखे ग्रन्थ के रूप में पाया जाता है ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि मंडन न केवल एक प्रधानमंत्री था वरन् वह चहुँमुखी प्रतिभा का धनी भी था । मंडन पर स्वतंत्र रूप से शोध कर इस प्रतिभाशाली विद्वान मंत्री के साहित्य को प्रकाश में लाने की आवश्यकता है।
३ - धनदराज - यह मंडन का चचेरा भाई था । इसने शतकत्रय (नीति, शृंगार और वैराग्य) की रचना की । नीतिशतक की प्रशस्ति से विदित होता है कि ये ग्रन्थ उसने मंडपदुर्ग में सं० १४९० में लिखे ।
४- भट्टारक श्रुतकीर्ति – ये नन्दी संघ और सरस्वती गच्छ के विद्वान थे । त्रिभुवनकीर्ति के शिष्य थे । अपभ्रंश भाषा के विद्वान थे । आपकी उपलब्ध सभी रचनायें अपभ्रंश भाषा के पद्धड़िया छन्द में रची गई हैं। आपकी चार रचनाएँ उपलब्ध हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है
(१) हरिवंशपुराण - जेरहट नगर के नेमिनाथ चैत्यालय में वि० सं० १५५२ माघ कृष्णा पंचमी सोमवार के दिन हस्त नक्षत्र के समय पूर्ण किया ।
(२) धर्मपरीक्षा - इस ग्रन्थ को भी वि० सं० १५५२ में बनाया क्योंकि इसके रचे जाने का उल्लेख आपने दूसरे ग्रन्थ परमेष्ठिप्रकाशसार में किया है ।
(३) परमेष्ठिप्रकाशसार- इसकी रचना वि० सं० १५५३ की श्रावण गुरु पंचमी के दिन मांडव के दुर्ग और जेरहट नगर के नेमिश्वर जिनालय में हुई ।
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