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। मुनि विजय 'विशारद'
सफलता की कुंजी-आत्म-विश्वास
प्रवर्तक ही पड़ा। श्री हीरालालजी बोले
धर्मोद्योत करते हुए एकदा प्रवर्तक
प्रवर श्री हीरालालजी महाराज का श्रीमज्जैनाचार्य श्रीलालजी महाराज की जन्म-स्थली टोंक, राजस्थान में पदार्पण हुआ । स्थानीय श्रमणोपासक मंडली धर्माराधना, जप-तप एवं संत-भक्ति में काफी आगे रही है। फलस्वरूप संतवृन्द को कुछ दिन रुकना ही पड़ा।
प्रस्थान के अवसर पर सहविहारी मुनि बोले- "गुरुदेव ! सुना जाता है कि अगले गांव में जैन परिवार का एक भी घर नहीं है
और इतर जन भी संत-जीवन के प्रेमी नहीं हैं। इसलिए आहार-पानी की दिक्कत सामने है। यहां से कुछ सामग्री लेकर चलें तो
महाराज और
संस्मरणों के प्रवर्तक श्री ने फरमाया–“संतो !
प्रक
प्रवर्तक श्री ने फरमाया-“संतो ! सफलता की कुंजी आत्म-विश्वास है । आत्मविश्वास पर ही तो सारा जीवन सौंपा है। मुझे आत्म-विश्वास है, अगले गाँव में 'असणंपाणं' की कोई दुविधा नहीं पड़ेगी। अगर तुम्हें भरोसा नहीं तो मेरे विश्वास पर चले चलो। मैं सभी की जिम्मेदारी लेता हूँ। किसी को भूखा नहीं रखूगा। जल्दी आगे बढ़ें,
मंजिल पुकार रही है।" For Private & Personal Use Only
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