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________________ चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर दम्पती डॉ. अभय चौधरी और श्रीमती डॉ० आशा चौधरी ने पूज्य उपाध्यायश्री का पावन सानिध्य प्राप्त किया । उपाध्यायश्री के अध्ययन/मनन/स्वाध्याय में (स्व०) डॉ० महेन्द्रकुमार जी के द्वारा प्रणीत और सम्पादित ग्रन्थ आये थे । मात्र ४७ वर्ष की अल्प जीवन यात्रा में जिस मनीषी ने भगवती जिनवाणी/श्रुत देवता की निष्ठापूर्वक अद्भुत सेवा की हो और जो सन् १९५९ में दिवंगत हुआ हो, लगभग चालीस वर्षों के अन्तराल में जिनका व्यापक योगदान ओझल सा हो गया था-उन (स्व०) विद्वद्रत्न डॉ. महेन्द्रकुमार जी न्यायाचार्य के योगदान पर एक प्रभावक त्रि-दिवसीय अखिल भारतीय विद्वत संगोष्ठी अम्बिकापुर में १८. १९, व २० अप्रैल १९९४ को पूज्य उपाध्यायश्री की प्रेरणा से सम्पन्न हुई । इस संगोष्ठी के संयोजन में (स्व०) पं० जी के तृतीय जामाता डॉ० अभय चौधरी तथा तृतीय सुपुत्री (सौ०) डॉ० आशा चौधरी एवं लघु जामाता श्री संतोष भारती (दमोह) तथा कनिष्ठ पुत्री सौ० आभा भारती की भूमिका सातिशय महत्त्वपूर्ण थी । इस संगोष्ठी में राष्ट्र के विभिन्न भागों से समागत मनीषी विद्वानों, साहित्यकारों तथा समाज बन्धुओं ने पूज्य उपाध्यायश्री के सानिध्य में यह निर्णय लिया कि (स्व०) डॉ० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य प्रबुद्ध विचारक, दार्शनिक, चिन्तक, आदर्श प्राध्यापक, सफल लेखक और कुशल सम्पादक थे। उनके अप्रतिम योगदान की स्मृति को स्थायित्व प्रदान करने के लिए एक स्मृति ग्रन्थ प्रकाशित किया जाय । एतदर्थ सम्पादक मण्डल और स्मृति ग्रन्थ प्रकाशन समिति का गठन भी किया गया । समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों की समग्र सूची इसी ग्रन्थ के अन्त में परिशिष्ट में प्रकाशित है | एतद्नुसार इसके अध्यक्ष श्रीमन्त सेठ डालचन्द्र जी सागर एवं मन्त्रीडॉ० भागचन्द्र जैन “भागेन्दु" दमोह हैं । समिति का प्रधान कार्यालय १५२, कबीर भवन, दमोह निर्धारित हुआ, इसका संचालक श्री संतोष भारती एवं सौ० आभा भारती ने किया । सम्पादक मण्डल का गठन निम्न भाँति हुआ प्रधान सम्पादक सम्पादकगण डॉ० दरबारी लाल कोठिया, न्यायाचार्य पं० हीरालाल कौशल, दिल्ली डॉ० भागचन्द्र जैन "भागेन्दु", भोपाल डॉ० कस्तूरचन्द्र कासलीवाल, जयपुर डॉ० सागरमल जैन, वाराणसी डॉ० राजाराम जैन, आरा डॉ० रतन पहाड़ी, कामठी डॉ० फूलचन्द्र प्रेमी, वाराणसी एवं श्री बाबूलाल जैन फागुल्ल, वाराणसी प्रबन्ध सम्पादक - समिति के निर्णयानुसार प्रकाश्य स्मृति ग्रन्थ की पञ्चखण्डीय रूपरेखा तैयार की गयी । इसके अनुरूप ही देश के कोने-कोने से बहुमूल्य सामग्री प्राप्त हुई । दमोह एवं बीना में इस समिति की तीन बैठकें हुईं, जिसमें प्राप्त सामग्री का वाचन/संशोधन/सम्पादन कर उसे प्रकाशन योग्य बनाया गया। कुछ सामग्री ग्रन्थ तैयार हो जाने तक आती रही, उसका उपयोग नहीं कर सकने हेतु हम माननीय लेखकों से क्षमा प्रार्थी हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012005
Book TitleMahendrakumar Jain Shastri Nyayacharya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya, Hiralal Shastri
PublisherMahendrakumar Jain Nyayacharya Smruti Granth Prakashan Samiti Damoh MP
Publication Year1996
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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